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आ वा॑मु॒पस्थ॑मद्रुहा दे॒वाः सी॑दन्तु य॒ज्ञियाः॑। इ॒हाद्य सोम॑पीतये॥

English Transliteration

ā vām upastham adruhā devāḥ sīdantu yajñiyāḥ | ihādya somapītaye ||

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Pad Path

आ। वा॒म्। उ॒पऽस्थ॑म्। अ॒द्रु॒हा॒। दे॒वाः। सी॒द॒न्तु॒। य॒ज्ञियाः॑। इ॒ह। अ॒द्य। सोम॑ऽपीतये॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:41» Mantra:21 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:10» Mantra:6 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:21


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे अध्यापक और उपदेशको ! (इह) इस संसार में (अद्य) इस समय या आज (सोमपीतये) जिससे विद्या और ऐश्वर्य उत्पन्न होते हैं उस क्रिया के लिये (अद्रुहा) द्रोहादि दोषरहित (यज्ञियाः) विद्या वृद्धिमय यज्ञ प्रचार के योग्य (देवाः) विद्वान् जन (वाम्) तुम दोनों के (उपस्थम्) समीप रहनेवाले के (आ, सीदन्तु) समीप बैठें॥२१॥
Connotation: - अध्यापक और उपदेशकों के समीप अन्य निर्दोष विदुषी स्त्री हों, जिससे दोनों स्त्री पुरुषों में विद्या और उत्तम शिक्षा तुल्य हो ॥२१॥ इस सूक्त में अध्यापक और अध्ययनकर्त्ता, सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, वायु, परमेश्वरोपासना और स्त्री-पुरुष के क्रम का वर्णन होने से इस सूक्त के अर्थ की पिछले सूक्तार्थ के साथ सङ्गति समझनी चाहिये॥ यह इकतालीसवाँ सूक्त और दशवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशकौ इहाद्य सोमपीतये अद्रुहा यज्ञिया देवा वामुपस्थमासीदन्तु ॥२१॥

Word-Meaning: - (आ) (वाम्) युवयोः (उपस्थम्) उपतिष्ठन्ति यस्मिँस्तम् (अद्रुहा) द्रोहादिदोषरहिताः। अत्र सुपामित्याकारादेशः। (देवाः) विद्वांसः (सीदन्तु) (यज्ञियाः) विद्यावृद्धिमययज्ञप्रचारार्हाः (इह) अस्मिन्संसारे (अद्य) इदानीम् (सोमपीतये) यया सोमा विद्यैश्वर्य्याणि जायन्ते तस्यै ॥२१॥
Connotation: - अध्यापकोपदेशकयोः समीपेऽन्या निर्दोषा विदुष्यः स्त्रियः सन्तु यत उभयेषु स्त्रीपुरुषेषु विद्यासुशिक्षे तुल्ये स्यातामिति ॥२१॥ अत्राध्यापकाध्येतृसूर्याचन्द्राग्निवायुपरमेश्वरोपासनास्त्रीपुरुषक्रमवर्णनादेतदर्थस्य पूर्वसूक्तार्थेन सह सङ्गतिर्वेद्या ॥ इत्येकाधिकचत्वारिंशत्तमं सूक्तं दशमो वर्गश्च समाप्तः ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अध्यापक व उपदेशक यांच्याजवळ निर्दोष विदुषी स्त्रिया असाव्यात. ज्यामुळे स्त्री-पुरुषांमध्ये विद्या व उत्तम शिक्षण समान असावे. ॥ २१ ॥