प्रेतां॑ य॒ज्ञस्य॑ शं॒भुवा॑ यु॒वामिदा वृ॑णीमहे। अ॒ग्निं च॑ हव्य॒वाह॑नम्॥
pretāṁ yajñasya śambhuvā yuvām id ā vṛṇīmahe | agniṁ ca havyavāhanam ||
प्र। इ॒ता॒म्। य॒ज्ञस्य॑। श॒म्ऽभुवा॑। यु॒वाम्। इत्। आ। वृ॒णी॒म॒हे॒। अ॒ग्निम्। च॒। ह॒व्य॒ऽवाह॑नम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे स्त्रीपुरुषौ यौ शम्भुवा युवां यज्ञस्य विद्याः प्रेतां हव्यवाहनमग्निं च ताविदेव वयमा वृणीमहे ॥१९॥
MATA SAVITA JOSHI
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