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दि॒व्य१॒॑न्यः सद॑नं च॒क्र उ॒च्चा पृ॑थि॒व्याम॒न्यो अध्य॒न्तरि॑क्षे। ताव॒स्मभ्यं॑ पुरु॒वारं॑ पुरु॒क्षुं रा॒यस्पोषं॒ वि ष्य॑तां॒ नाभि॑म॒स्मे॥

English Transliteration

divy anyaḥ sadanaṁ cakra uccā pṛthivyām anyo adhy antarikṣe | tāv asmabhyam puruvāram purukṣuṁ rāyas poṣaṁ vi ṣyatāṁ nābhim asme ||

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Pad Path

दि॒वि। अ॒न्यः। सद॑नम्। च॒क्रे। उ॒च्चा। पृ॒थि॒व्याम्। अ॒न्यः। अधि॑। अ॒न्तरि॑क्षे। तौ। अ॒स्मभ्य॑म्। पु॒रु॒ऽवार॑म्। पु॒रु॒ऽक्षुम्। रा॒यः। पोष॑म्। वि। स्य॒ता॒म्। नाभि॑म्। अ॒स्मे इति॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:40» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्नि के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! अग्नि का भाग (अन्यः) और है और वह (उच्चा) ऊपर जो स्थित (दिवि) आकाश उसमें (सदनम्) स्थान (अधि,चक्रे) किये हुए है तथा (अन्यः) और (पृथिव्याम्) पृथिवी में और (अन्तरिक्षे) अन्तरिक्ष में स्थान को (अधि) अधिकता से किये हुए है (तौ) वे दोनों (अस्मभ्यम्) हम लोगों के लिये (पुरुवारम्) बहुतों से स्वीकार करने योग्य (पुरुक्षुम्) बहुतों ने शब्दित किये अर्थात् कहे सुने (रायः) धनादि पदार्थों के (पोषम्) पुष्ट करनेवाले और (अस्मे) हमारे (नाभिम्) मध्य बन्धन के (वि,स्यताम्) निकट हों उनको तुम जानो ॥४॥
Connotation: - अग्नि के तीन स्थान हैं, एक ऊपर आकाश में दूसरा पृथिवी में और तीसरा बीच में, उन तीनों में सूर्य्यरूप से अन्तरिक्ष में, निकट स्थित प्रत्यक्ष पृथिवी में और गुप्त अन्तरिक्ष में वर्त्तमान है, उस अग्नि को मनुष्य जानें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निविषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या अग्नेर्भागोऽन्य उच्चा दिवि सदनं चक्रेऽन्यः पृथिव्यामन्योऽन्तरिक्षे सदनमधिचक्रे तावस्मभ्यं पुरुवारं पुरुक्षुं रायस्पोषमस्मे नाभिं च विष्यतां तौ यूयं विजानीत ॥४॥

Word-Meaning: - (दिवि) आकाशे (अन्यः) (सदनम्) स्थानम् (चक्रे) कृतवान् (उच्चा) उच्चे ऊर्ध्वस्थिते (पृथिव्याम्) (अन्यः) भिन्नः (अधि) (अन्तरिक्षे) (तौ) (अस्मभ्यम्) (पुरुवारम्) बहुभिर्वरणीयम् (पुरुक्षुम्) पुरुभिः शब्दितम् (रायः) धनादेः (पोषम्) पोषकम् (वि) (स्यताम्) अन्ते भवताम् (नाभिम्) मध्यं बन्धनम् (अस्मे) अस्माकम् ॥४॥
Connotation: - अग्नेस्त्रीणि स्थानानि उपर्य्याकाशे पृथिव्यां मध्ये च तत्र सूर्यरूपेणान्तरिक्षे निकटे स्थितः प्रत्यक्षः पृथिव्यां गुप्तोऽन्तरिक्षे वर्त्तते तं मनुष्या विजानन्तु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - अग्नीची तीन स्थाने आहेत. एक आकाशात, दुसरे पृथ्वीवर व तिसरे अंतरिक्षात. या तिन्हीमध्ये सूर्यरूपाने आकाशात, पृथ्वीवर प्रत्यक्ष व अंतरिक्षात गुप्त आहे. त्या अग्नीला माणसांनी जाणावे. ॥ ४ ॥