Go To Mantra

आ यो वना॑ तातृषा॒णो न भाति॒ वार्ण प॒था रथ्ये॑व स्वानीत्। कृ॒ष्णाध्वा॒ तपू॑ र॒ण्वश्चि॑केत॒ द्यौरि॑व॒ स्मय॑मानो॒ नभो॑भिः॥

English Transliteration

ā yo vanā tātṛṣāṇo na bhāti vār ṇa pathā rathyeva svānīt | kṛṣṇādhvā tapū raṇvaś ciketa dyaur iva smayamāno nabhobhiḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

आ। यः। वना॑। त॒तृ॒षा॒णः। न। भाति॑। वाः। न। प॒था। रथ्या॑ऽइव। स्वा॒नी॒त्। कृ॒ष्णऽअ॑ध्वा। तपुः॑। र॒ण्वः। चि॒के॒त॒। द्यौःऽइ॑व। स्मय॑मानः। नभः॑ऽभिः॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:4» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:25» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (वना) वन और जलों के प्रति (ततृषाणः) निरन्तर पिआसे के (न) समान (आ भाति) अच्छे प्रकार प्रकाशित होता है और (पथा) मार्ग से (वाः) जल के (न) समान तथा (रथ्येव) रथ आदि के लिये जो हित है उस मार्ग अर्थात् सड़क के समान (स्वानीत्) शब्दायमान होता है जो (कृष्णाध्वा) काले वर्णयुक्त (तपुः) सब ओर से तपानेवाला (रण्वः) रमणीय (स्मयमानः) कुछ मुस्कातासा हुआ (द्यौरिव) सूर्य के प्रकाश के समान (नभोभिः) अन्नादि पदार्थों से (चिकेत) उद्बोध को प्राप्त हो अर्थात् प्रज्वलित हो वह विद्वानों ही को जानने योग्य है ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे कोई अतितृषायुक्त कहनेवाला जन हँसता हुआ कहे कि जल मार्ग में जाता है, वैसे वनस्थ अग्नि बहुत शब्दायमान होता है ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यो वना ततृषाणो नाभाति पथा वार्ण रथ्येव च स्वानीद्यः कृष्णाध्वा तपू रण्वः स्मयमानो द्यौरिव नभोभिश्चिकेत स विद्वद्भिरेव विज्ञातुं योग्यः ॥६॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (यः) (वना) वनानि (ततृषाणः) भृशं तृड्युक्तः। अत्र तुजादित्वादभ्यासदीर्घः। (न) इव (भाति) प्रकाशते (वाः) उदकम् (न) इव (पथा) मार्गेण (रथ्येव) रथाय हितेव (स्वानीत्) शब्दायते (कृष्णाध्वा) कृष्णोऽध्वा मार्गो यस्य (तपुः) परितापकः (रण्वः) रमणीयः (चिकेत) उद्बुध्येत (द्यौरिव) सूर्यप्रकाशवत् (स्मयमानः) किञ्चिद्धसन्निव (नभोभिः) अन्नादिभिः पदार्थैः ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा कश्चिदति तृषितो वक्ता हसन् वदेत् जलं मार्गे गच्छति तथाग्निर्वनस्थो महच्छब्दायते ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसा एखादा अति तृषार्त माणूस प्रसन्नतेने हसून म्हणतो की जल (वाहताना) शब्दायमान होते, तसा वनातील अग्नी शब्दायमान होतो. ॥ ६ ॥