या॒द्रा॒ध्यं१॒॑ वरु॑णो॒ योनि॒मप्य॒मनि॑शितं नि॒मिषि॒ जर्भु॑राणः। विश्वो॑ मार्ता॒ण्डो व्र॒जमा प॒शुर्गा॑त्स्थ॒शो जन्मा॑नि सवि॒ता व्याकः॑॥
yādrādhyaṁ varuṇo yonim apyam aniśitaṁ nimiṣi jarbhurāṇaḥ | viśvo mārtāṇḍo vrajam ā paśur gāt sthaśo janmāni savitā vy ākaḥ ||
या॒त्ऽरा॒ध्य॑म्। वरु॑णः। योनि॑म्। अप्य॑म्। अनि॑ऽशितम्। नि॒ऽमिषि॑। जर्भु॑राणः। विश्वः॑। मा॒र्ता॒ण्डः। व्र॒जम्। आ। प॒शुः। गा॒त्। स्थ॒ऽशः। जन्मा॑नि। स॒वि॒ता। वि। आ। अ॒क॒रित्य॑कः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
यो विश्वो मार्त्ताण्डो निमिषि जर्भुराणो वरुणो व्रजं पशुरिव याद्राध्यमप्यमनिशितं योनिमागात् तस्य जीवस्य स्थशो जन्मानि सविता व्याकः ॥८॥
MATA SAVITA JOSHI
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