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नानौकां॑सि॒ दुर्यो॒ विश्व॒मायु॒र्वि ति॑ष्ठते प्रभ॒वः शोको॑ अ॒ग्नेः। ज्येष्ठं॑ मा॒ता सू॒नवे॑ भा॒गमाधा॒दन्व॑स्य॒ केत॑मिषि॒तं स॑वि॒त्रा॥

English Transliteration

nānaukāṁsi duryo viśvam āyur vi tiṣṭhate prabhavaḥ śoko agneḥ | jyeṣṭham mātā sūnave bhāgam ādhād anv asya ketam iṣitaṁ savitrā ||

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Pad Path

नाना॑। ओकां॑सि। दुर्यः॑। विश्व॑म्। आयुः॑। वि। ति॒ष्ठ॒ते॒। प्र॒ऽभ॒वः। शोकः॑। अ॒ग्नेः। ज्येष्ठ॑म्। मा॒ता। सू॒नवे॑। भा॒गम्। आ। अ॒धा॒त्। अनु॑। अ॒स्य॒। केत॑म्। इ॒षि॒तम्। स॒वि॒त्रा॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:38» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:2» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो जहाँ (नाना) अनेक प्रकार के (दुर्य्यः) द्वारवान् (ओकांसि) घर हैं वा जहाँ (सवित्रा) सूर्य्यलोक के साथ (अग्नेः) बिजली आदि रूप अग्नि से (विश्वम्) समस्त (आयुः) जीवन को (वि,तिष्ठते) विशेषता से स्थिर करता है तथा (प्रभवः) उत्पत्ति और (शोकः) मरण भी होता है जहाँ (माता) जननी (सूनवे) सन्तान के लिये (ज्येष्ठम्) प्रशंसनीय (भागम्) भाग को और (अनु,अस्य) अनुकूल इस सन्तान को (इषितम्) इष्ट अभीष्ट चाहे हुये (केतम्) विज्ञान को (आ,अधात्) अच्छे प्रकार धारण करती उसमें वा इस जगत् में यथावत् वर्त्ताव करना चाहिये ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो तुम्हारे जन्म हुए तो मरण भी होगा इसके बीच सब तुओं में सुख देनेवाले घरों को बनाकर विद्यावृद्धि के लिये पाठशालायें बनाये, अपने कन्या और पुत्रों को विद्या और उत्तम शिक्षायुक्त कर पूर्ण आयु को भोग के यश का विस्तार करना चाहिये ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यत्र नाना दुर्य्य ओकांसि सन्ति यत्र सवित्रा सदाग्नेर्विश्वमायुर्वितिष्ठते प्रभवः शोकश्च भवति यत्र माता सूनवे ज्येष्ठं भागमन्वस्येषितं केतमाधात्तस्मिन् वाऽस्मिन् जगति यथावद्वर्त्तितव्यम् ॥५॥

Word-Meaning: - (नाना) अनेकानि (ओकांसि) समवेतानि गृहाणि (दुर्य्यः) द्वारवन्ति (विश्वम्) सर्वम् (आयुः) जीवनम् (वि) तिष्ठते (प्रभवः) उत्पत्तिः (शोकः) मरणम् (अग्नेः) विद्युदादिरूपात् (ज्येष्ठम्) प्रशस्यम् (माता) जननी (सूनवे) सन्तानाय (भागम्) भजनीयम् (अधात्) (अनु) (अस्य) सन्तानस्य (केतम्) विज्ञानम् (इषितम्) इष्टम् (सवित्रा) सूर्येण सह ॥५॥
Connotation: - हे मनुष्या यदि भवतां जन्मानि जातानि तर्हि मरणमपि भविष्यत्यत्र सर्वर्त्तुसुखानि गृहाणि विधाय विद्यावृद्धये पाठशाला निर्माय स्वकन्याः पुत्राँश्च विद्यासुशिक्षायुक्तान् कृत्वा पूर्णमायुर्भुक्त्वा यशो विस्तार्यम् ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! तुम्हाला जन्म मिळाला म्हणजे मृत्यूही आहेच. त्या दरम्यान सर्व ऋतूंमध्ये सुख देणारी घरे बांधून विद्यावृद्धीसाठी पाठशाळा बांधाव्यात. आपल्या मुलामुलींना विद्या देऊन उत्तम शिक्षणयुक्त करावे व पूर्ण आयुष्य भोगून यश वाढवावे. ॥ ५ ॥