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मन्द॑स्व हो॒त्रादनु॒ जोष॒मन्ध॒सोऽध्व॑र्यवः॒ स पू॒र्णां व॑ष्ट्या॒सिच॑म्। तस्मा॑ ए॒तं भ॑रत तद्व॒शो द॒दिर्हो॒त्रात्सोमं॑ द्रविणोदः॒ पिब॑ ऋ॒तुभिः॑॥

English Transliteration

mandasva hotrād anu joṣam andhaso dhvaryavaḥ sa pūrṇāṁ vaṣṭy āsicam | tasmā etam bharata tadvaśo dadir hotrāt somaṁ draviṇodaḥ piba ṛtubhiḥ ||

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Pad Path

मन्द॑स्व। हो॒त्रात्। अनु॑। जोष॑म्। अन्ध॑सः। अध्व॑र्यवः। सः। पू॒र्णाम्। व॒ष्टि॒। आ॒ऽसिच॑म्। तस्मै॑। ए॒तम्। भ॒र॒त॒। त॒त्ऽव॒शः। द॒दिः। हो॒त्रात्। सोम॑म्। द्र॒वि॒णः॒ऽदः॒। पिब॑। ऋ॒तुऽभिः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:37» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब छः चा वाले सैंतीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विद्वानों के गुणों का उपदेश करते हैं।

Word-Meaning: - हे (द्रविणोदः) धन देनेवाले आप (होत्रात्) लेने से (अन्धसः) अन्न की (जोषम्) प्रीति का (अनु, मन्दस्व) अनुमोदन करो और जैसे (सः) वह विद्वान् (पूर्णाम्) पूर्ण वृष्टि को (आसिचम्) अच्छे प्रकार सींचनेवाले की (वष्टि) कामना करता है वैसे, हे (अध्वर्यवः) अपने को यज्ञ की इच्छा करनेवाले तुम (तस्मै) उसके लिये (एतम्) उसकी इच्छावान् (ददिः) दाता आप (तुभिः) वसन्तादि तुओं के साथ (होत्रात्) देनेवाले से (सोमम्) ओषधियों के रस को (पिब) पिओ ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। मनुष्यों को परस्पर के लिये विद्या धन और धान्य आदि पदार्थ देकर निरन्तर आनन्द करना चाहिये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह।

Anvay:

हे द्रविणोदस्त्वं होत्रादन्धसो जोषमनु मन्दस्व। यथा स विद्वान् पूर्णामासिचं वष्टि तथा हे अध्वर्यवो यूयं तस्मा एतं भरत। हे द्रविणोदस्तद्वशो ददिस्त्वमृतुभिः सह होत्रात्सोमं पिब ॥१॥

Word-Meaning: - (मन्दस्व) आनन्द (होत्रात्) आदानात् (अनु) (जोषम्) प्रीतिम् (अन्धसः) अन्नस्य (अध्वर्यवः) य आत्मानमध्वरमिच्छवस्ते (सः) (पूर्णाम्) (वष्टि) कामयते (आसिचम्) समन्तात्सेचकम् (तस्मै) (एतम्) (भरत) धरत। अत्र बहुलं छन्दसीति शपः श्लुर्न (तद्वशः) तदिच्छः (ददिः) दाता (होत्रात्) दातुः (सोमम्) (द्रविणोदः) यो द्रविणो ददाति तत्सम्बुद्धौ (पिब) (तुभिः) वसन्तादिभिः ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। मनुष्यैः परस्परेभ्यो विद्याधनधान्यादीनि दत्वा सततमानन्दितव्यम् ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानाच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. माणसांनी परस्परांसाठी विद्या, धन व धान्य इत्यादी पदार्थ देऊन निरंतर आनंद प्राप्त केला पाहिजे. ॥ १ ॥