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यो अ॒प्स्वा शुचि॑ना॒ दैव्ये॑न ऋ॒तावाज॑स्र उर्वि॒या वि॒भाति॑। व॒या इद॒न्या भुव॑नान्यस्य॒ प्र जा॑यन्ते वी॒रुध॑श्च प्र॒जाभिः॑॥

English Transliteration

yo apsv ā śucinā daivyena ṛtāvājasra urviyā vibhāti | vayā id anyā bhuvanāny asya pra jāyante vīrudhaś ca prajābhiḥ ||

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Pad Path

यः। अ॒प्ऽसु। आ। शुचि॑ना। दैव्ये॑न। ऋ॒तऽवा॑। अज॑स्रः। उ॒र्वि॒या। वि॒ऽभाति॑। व॒याः। इत्। अ॒न्या। भुव॑नानि। अ॒स्य॒। प्र। जा॒य॒न्ते॒। वी॒रुधः॑। च॒। प्र॒ऽजाभिः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:35» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:23» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - (यः) जो (तावा) सत्य का अच्छे प्रकार सेवन करता हुआ (अजस्रः) निरन्तर (दैव्येन) विद्वानों से किये हुए (शुचिना) पवित्र व्यवहार से (उर्विया) बहुरूप (विभाति) प्रकाशित होता है वह (अन्या) और (भुवनानि) लोक-लोकान्तरों को (वयाः) शाखाओं को तथा (प्रजाभिः) प्रजा के समान (इत्) ही (अप्सु) व्यापक जल रूपी पदार्थों में जो (प्रजायन्ते) उत्पन्न होते हैं उन्हें और (अस्य) इस संसार के बीच जो (वीरुधश्च) ओषधियाँ (आ) उत्पन्न होते हैं उन सबको जानें ॥८॥
Connotation: - जो पवित्र बुद्धि दिव्य कर्म करनेवाले निरन्तर सृष्टिक्रम को जानते हैं, वे सदा आनन्दित होते हैं ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

य तावाऽजस्रो दैव्येन शुचिनोर्विया विभाति सोऽन्या भुवनानि वयाः प्रजाभिरिदिवाप्सु प्रजायन्तेऽस्य संसारस्य मध्ये या वीरुधश्च आजायन्ते ता विजानीयात् ॥८॥

Word-Meaning: - (यः) (अप्सु) व्यापकेषु पदार्थेषु (आ) समन्तात् (शुचिना) पवित्रेण (दैव्येन) देवैः कृतेन (तावा) य तं वनति संभजति सः (अजस्रः) निरन्तरम् (उर्विया) बहुरूपः (विभाति) प्रकाशते (वयाः) शाखाः (इत्) एव (अन्या) अन्यानि (भुवनानि) (अस्य) (प्र) (जायन्ते) (वीरुधः) ओषधयः (च) (प्रजाभिः) ॥८॥
Connotation: - ये पवित्रबुद्धयो दिव्यकर्म्माणो निरन्तरं सृष्टिक्रमं जानन्ति ते सदानन्दिता जायन्ते ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे पवित्र बुद्धी व दिव्यकर्म करणारे असतात तसेच सतत सृष्टिक्रम जाणतात ते सदैव आनंदित असतात. ॥ ८ ॥