अ॒स्मै ति॒स्रो अ॑व्य॒थ्याय॒ नारी॑र्दे॒वाय॑ दे॒वीर्दि॑धिष॒न्त्यन्न॑म्। कृता॑इ॒वोप॒ हि प्र॑स॒र्स्रे अ॒प्सु स पी॒यूषं॑ धयति पूर्व॒सूना॑म्॥
asmai tisro avyathyāya nārīr devāya devīr didhiṣanty annam | kṛtā ivopa hi prasarsre apsu sa pīyūṣaṁ dhayati pūrvasūnām ||
अ॒स्मै। ति॒स्रः। अ॒व्य॒थ्याय॑। नारीः॑। दे॒वाय॑। दे॒वीः। दि॒धि॒ष॒न्ति॒। अन्न॑म्। कृता॑ऽइव। उप॑। हि। प्र॒ऽस॒र्स्रे। अ॒प्ऽसु। सः। पी॒यूष॑म्। ध॒य॒ति॒। पू॒र्व॒ऽसूना॑म्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे मनुष्या याः कृता इव तिस्रो देवीर्नारीरस्मा अव्यथ्याय देवायान्नं दिधिषन्ति अप्सूप प्रसर्स्रे तासां पूर्वसूनां स सन्तानो हि पीयूषन्धयति पिबति ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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