अयां॑समग्ने सुक्षि॒तिं जना॒यायां॑समु म॒घव॑द्भ्यः सुवृ॒क्तिम्। विश्वं॒ तद्भ॒द्रं यदव॑न्ति दे॒वा बृ॒हद्व॑देम वि॒दथे॑ सु॒वीराः॑॥
ayāṁsam agne sukṣitiṁ janāyāyāṁsam u maghavadbhyaḥ suvṛktim | viśvaṁ tad bhadraṁ yad avanti devā bṛhad vadema vidathe suvīrāḥ ||
अयां॑सम्। अ॒ग्ने॒। सु॒ऽक्षि॒तिम्। जना॑य। अयां॑सम्। ऊँ॒ इति॑। म॒घव॑त्ऽभ्यः। सु॒ऽवृ॒क्तिम्। विश्व॑म्। तत्। भ॒द्रम्। यत्। अव॑न्ति। दे॒वाः। बृ॒हत्। व॒दे॒म॒। वि॒दथे॑। सु॒ऽवीराः॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे अग्ने यमयांसं सुक्षितिं सुवृक्तिमु जनायायांसं मघवद्भ्यो यद्भद्रं विश्वं सुवीरा देवा अवन्ति तद्बृहद्विदथे वयं वदेम ॥१५॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A