Go To Mantra

हवी॑मभि॒र्हव॑ते॒ यो ह॒विर्भि॒रव॒ स्तोमे॑भी रु॒द्रं दि॑षीय। ऋ॒दू॒दरः॑ सु॒हवो॒ मा नो॑ अ॒स्यै ब॒भ्रुः सु॒शिप्रो॑ रीरधन्म॒नायै॑॥

English Transliteration

havīmabhir havate yo havirbhir ava stomebhī rudraṁ diṣīya | ṛdūdaraḥ suhavo mā no asyai babhruḥ suśipro rīradhan manāyai ||

Mantra Audio
Pad Path

हवी॑मऽभिः। हव॑ते। यः। ह॒विःऽभिः। अव॑। स्तोमे॑भिः। रु॒द्रम्। दि॒षी॒य॒। ऋ॒दू॒दरः॑। सु॒ऽहवः॑। मा। नः॒। अ॒स्यै। ब॒भ्रुः। सु॒ऽशिप्रः॑। री॒र॒ध॒त्। म॒नायै॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:33» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:16» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वैद्य विषयको अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - (यः) जो वैद्यजन (हवीमभिः) सुन्दर ओषधियों के देने से हम लोगों की (हवते) स्पर्द्धा करता है उस (रुद्रम्) वैद्य को मैं (हविर्भिः) ग्रहण करने योग्य (स्तोमेभिः) श्लाघाओं से (अव,दिषीय) न खण्डन करूँ अर्थात् न उसे क्लेश देऊँ जिससे (सुहवः) सुन्दरदानशील (दूदरः) कोमल उदरवाला (बभ्रुः) पालनकर्त्ता (सुशिप्रः) सुन्दर मुखयुक्त वैद्य (नः) हमारी (अस्यै) इस (मनायै) माननेवाली बुद्धि के लिये (मा,रीरधत्) मत हिंसा कर ॥५॥
Connotation: - जो वैद्य जन रोगनिवारण से हमारी बुद्धि को बढ़ाते हैं, उनके साथ हम लोग कभी न विरोध करें ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्वैद्यविषयमाह।

Anvay:

यो हवीमभिर्नोऽस्मान् हवते तं रुद्रमहं हविभिः त्वमेभिरवदिषीय माखण्डयेयम्। यतः सुहव दूदरो बभ्रुः सुशिप्रो वैद्यो नोऽस्यै मनायै मा रीरधत् ॥५॥

Word-Meaning: - (हवीमभिः) सुष्ठ्वौषधदानैः (हवते) स्पर्द्धते (यः) जनः (हविर्भिः) होतुं ग्रहीतुमर्हैः (अव) (स्तोमेभिः) श्लाघाभिः (रुद्रम्) वैद्यम् (दिषीय) खण्डयेयम् (दूदरः) मृदूदरः। दूदरः सोमो मृदूदरो मृदुरुदरेष्विति निरुक्ते ६। ४। (सुहवः) सुष्ठुदानः (मा) (नः) अस्माकम् (अस्यै) (बभ्रुः) पालकाः (सुशिप्रः) सुन्दराननः (रीरधत्) हिंस्यात् (मनायै) मन्यमानायै प्रज्ञायै ॥५॥
Connotation: - ये वैद्या रोगनिवारणेनास्माकं प्रज्ञां वर्द्धयन्ति तैस्सह वयं कदाचिन्न विरुध्येम ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे वैद्य रोगनिवारण करून आमची बुद्धी वाढवितात त्यांचा आम्ही कधी विरोध करू नये. ॥ ५ ॥