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अर्ह॑न्बिभर्षि॒ साय॑कानि॒ धन्वार्ह॑न्नि॒ष्कं य॑ज॒तं वि॒श्वरू॑पम्। अर्ह॑न्नि॒दं द॑यसे॒ विश्व॒मभ्वं॒ न वा ओजी॑यो रुद्र॒ त्वद॑स्ति॥

English Transliteration

arhan bibharṣi sāyakāni dhanvārhan niṣkaṁ yajataṁ viśvarūpam | arhann idaṁ dayase viśvam abhvaṁ na vā ojīyo rudra tvad asti ||

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Pad Path

अर्ह॑न्। बि॒भ॒र्षि॒। साय॑कानि। धन्व॑। अर्ह॑न्। नि॒ष्कम्। य॒ज॒तम्। वि॒श्वऽरू॑पम्। अर्ह॑न्। इ॒दम्। द॒य॒से॒। विश्व॑म्। अभ्व॑म्। न। वै। ओजी॑यः। रु॒द्र॒। त्वत्। अ॒स्ति॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:33» Mantra:10 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (रुद्र) दुष्टों को रुलानेवाले जो आप (अर्हन्) योग्य होते हुए (सायकानि) शस्त्र और अस्त्रों को (धन्व) तथा धनुर्वाण आदि को (बिभर्षि) धारण करते हैं वा (अर्हन्) योग्य होते हुए (विश्वरूपम्) चित्रविचित्र रूपवाले (यजतम्) सङ्गम करने योग्य (निष्कम्) सुवर्ण महान् (विश्वम्) समस्त जगत् की (दयसे) रक्षा करते हैं, इस कारण (त्वत्) आपसे अन्य (ओजीयः) बलवाला (न) नहीं है ॥१०॥
Connotation: - जो योग्यता को प्राप्त होकर आयुध सेना राज्य और धन को धारण करने तथा सब धर्मात्माओं पर दया करते हैं, वे बलिष्ठ होते हैं ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे रुद्र यस्त्वमर्हन्त्सन् सायकानि धन्व बिभर्ष्यर्हन्विश्वरूपं यजतं निष्कं बिभर्ष्यर्हन्निदमभ्वं विश्वं दयसे तस्मात्त्वदन्यदोजीयो वै नास्ति ॥१०॥

Word-Meaning: - (अर्हन्) योग्यो भवान् (बिभर्षि) धरसि (सायकानि) शस्त्रास्त्राणि (धन्व) धनुरादीनि (अर्हन्) (निष्कम्) सुवर्णाभूषणम् (यजतम्) सङ्गन्तव्यम् (विश्वरूपम्) विचित्रस्वरूपम् (अर्हन्) (इदम्) (दयसे) (विश्वम्) सर्वं जगत् (अभ्वम्) महत् (न) निषेधे (वै) निश्चये (ओजीयः) बलिष्ठम् (रुद्र) दुष्टानां रोदयितः (त्वत्) (अस्ति) ॥१०॥
Connotation: - ये योग्यतां प्राप्यायुधानि सेना राज्यं धनञ्च धरन्ति सर्वेषां धर्मात्मनामुपरि दयां च कुर्वन्ति ते बलिष्ठा जायन्ते ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे योग्यता प्राप्त करून आयुधे, सेना, राज्य व धन धारण करतात व धर्मात्मा लोकांवर दया करतात ते बलवान बनतात. ॥ १० ॥