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सर॑स्वति॒ त्वम॒स्माँ अ॑विड्ढि म॒रुत्व॑ती धृष॒ती जे॑षि॒ शत्रू॑न्। त्यं चि॒च्छर्ध॑न्तं तविषी॒यमा॑ण॒मिन्द्रो॑ हन्ति वृष॒भं शण्डि॑कानाम्॥

English Transliteration

sarasvati tvam asmām̐ aviḍḍhi marutvatī dhṛṣatī jeṣi śatrūn | tyaṁ cic chardhantaṁ taviṣīyamāṇam indro hanti vṛṣabhaṁ śaṇḍikānām ||

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Pad Path

सर॑स्वति। त्वम्। अ॒स्मान्। अ॒वि॒ड्ढि॒। म॒रुत्व॑ती। धृ॒ष॒ती। जे॒षि॒। शत्रू॑न्। त्यम्। चि॒त्। शर्ध॑न्तम्। त॒वि॒षी॒ऽयमा॑णम्। इन्द्रः॑। ह॒न्ति॒। वृ॒ष॒भम्। शण्डि॑कानाम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:30» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:13» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (सरस्वति) विज्ञानयुक्त विदुषी रानी (मरुत्वती) प्रशंसितरूपवाली (धृषती) प्रगल्भ्य उत्साहिनी आप जैसे (इन्द्रः) सेनापति (त्वम्) उस (शर्द्धन्तम्) बलवान् (तविषीयमाणम्) सेना जैसे युद्ध करें वैसा आचरण करते हुए (शण्डिकानाम्) शत्रुओं की सेना के अवयवरूप योद्धाओं में वर्त्तमान (वृषभम्) अत्यन्त बली शत्रु को (हन्ति) मारता है (चित्) और वैसे (अस्मान्) हमको (त्वम्) आप (अविड्ढि) व्याप्त वा प्राप्त हो और (शत्रून्) हमारे सुख को नष्ट करनेहारे शत्रुओं को (जेषि) जीतती हो इससे सबको सत्कार करने योग्य हो ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जैसे राजा शत्रुओं को मार कर पुरुषों का सत्कार व न्याय करता है, वैसे ही रानी दुष्टा स्त्रियों को निवृत्त कर सब स्त्रियों की सदा रक्षा करे अर्थात् जैसे पुरुष न्यायाधीश हों, वैसे स्त्रियाँ भी हों ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे सरस्वति मरुत्वती धृषती भवती यथा इन्द्रस्त्यं शर्द्धन्तं तविषीयमाणं शण्डिकानां मध्ये वर्त्तमानं वृषभं हन्ति चिदस्माँस्त्वमविड्ढि शत्रून् जेषि तस्मात्सर्वैः सत्कर्त्तव्यास्ति ॥८॥

Word-Meaning: - (सरस्वति) विज्ञानवति (त्वम्) (अस्मान्) (अविड्ढि) प्रविश (मरुत्वती) प्रशस्तरूपयुक्ता (धृषती) प्रगल्भा (जेषि) जयसि। अत्र शबभावः (शत्रून्) अस्माकं शातकान् सुखविच्छेदकान् (त्यम्) तम् (चित्) इव (शर्द्धन्तम्) बलवन्तम् (तविषीयमाणम्) सेनयेवाचरन्तम् (इन्द्रः) सेनेशः (हन्ति) (वृषभम्) बलिष्ठम् (शण्डिकानाम्) शत्रूणां तस्याऽवयवभूतानां मध्ये वर्त्तमानम् ॥८॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा राजा शत्रून् हत्वा पुरुषाणां न्यायं करोति तथैव राज्ञी दुष्टाः स्त्रियो निवार्य्य सर्वासां रक्षणं सदा कुर्य्यादर्थाद्यथा पुरुषा न्यायाऽधीशाः स्युस्तथा स्त्रियोऽपि भवन्तु ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसा राजा शत्रूचे हनन करून सर्व पुरुषांना न्याय देतो, तसे राणीने दुष्ट स्त्रियांचे निवारण करून सर्व स्त्रियांचे रक्षण करावे, अर्थात् पुरुष जसे न्यायाधीश असतील तशा स्त्रियाही असाव्यात. ॥ ८ ॥