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सा॒ध्वपां॑सि स॒नता॑ न उक्षि॒ते उ॒षासा॒नक्ता॑ व॒य्ये॑व रण्वि॒ते। तन्तुं॑ त॒तं सं॒वय॑न्ती समी॒ची य॒ज्ञस्य॒ पेशः॑ सु॒दुघे॒ पय॑स्वती॥

English Transliteration

sādhv apāṁsi sanatā na ukṣite uṣāsānaktā vayyeva raṇvite | tantuṁ tataṁ saṁvayantī samīcī yajñasya peśaḥ sudughe payasvatī ||

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Pad Path

सा॒धु। अपां॑सि। स॒नता॑। नः॒। उ॒क्षि॒ते इति॑। उ॒षासा॒नक्ता॑। व॒य्या॑ऽइव। र॒ण्वि॒ते इति॑। तन्तु॑म्। त॒तम्। सं॒वय॑न्ती॒ इति॑ स॒म्ऽवय॑न्ती। स॒मी॒ची इति॑ स॒म्ऽई॒ची। य॒ज्ञस्य॑। पेशः॑। सु॒दुघे॒ इति॑ सु॒ऽदुघे॑। पय॑स्वती॒ इति॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:3» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:23» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे स्त्रीपुरुषो ! (तन्तुम्) सूत को (वय्येव) जैसे वस्त्र बनवानेवाली नली वा (रण्विते) शब्दायमान (यज्ञस्य) सराहने योग्य यज्ञकर्म के (ततम्) विस्तृत (पेशः) रूप को (संवयन्ती) उत्पन्न कराते और (समीची) अच्छे प्रकार अपनी-अपनी कक्षा में चलते हुए (पयस्वती) प्रशंसित जलयुक्त (सुदुघे) सुन्दरता से सब कामों को पूरा करनेहारे (उक्षिते) सींचे हुए (उषासानक्ता) रात्रि-दिन के समान तुम दोनों (नः) हम लोगों के लिये (सनता) नम्रभाव के साथ वर्त्तमान (साधु) उत्तम (अपांसि) कर्मों को कराओ ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार हैं। सन्तान और भृत्यजन अपने पालनेवाले स्त्रीपुरुषों के प्रति ऐसी प्रार्थना करें कि तुम हमसे धर्मयुक्त कार्य कराओ ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे स्त्रीपुरुषौ तन्तुं वय्येव रण्विते यज्ञस्य ततं पेशः संवयन्ती समीची पयस्वती सुदुघ उक्षित उषासानक्तेव युवां नोऽस्मभ्यं सनता साध्वपांसि कारयतम् ॥६॥

Word-Meaning: - (साधु) साधूनि (अपांसि) कर्माणि (सनता) नतेन सह वर्त्तमानानि (नः) अस्मभ्यम् (उक्षिते) सिञ्चिते (उषासानक्ता) रात्रिदिने (वय्येव) परसाधिका नलिकेव (रण्विते) शब्दायमाने (तन्तुम्) सूत्रम् (ततम्) विस्तृतम् (संवयन्ती) निर्मिमाना (समीची) सम्यगञ्चती (यज्ञस्य) यष्टु सङ्गन्तुमर्हस्य (पेशः) रूपम् (सुदुघे) सुष्ठु प्रपूरिके (पयस्वती) प्रशस्तजलयुक्ते ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। सन्ताना भृत्याश्च दम्पती प्रति एवं प्रार्थयेयुर्युवामस्माभिर्धर्म्याणि कर्माणि कारयतम् ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. संतान व सेवकांनी आपले पालन करणाऱ्या स्त्री-पुरुषांना अशी प्रार्थना करावी, की तुम्ही आम्हाला धार्मिक कार्यात युक्त करा. ॥ ६ ॥