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वि श्र॑यन्तामुर्वि॒या हू॒यमा॑ना॒ द्वारो॑ दे॒वीः सु॑प्राय॒णा नमो॑भिः। व्यच॑स्वती॒र्वि प्र॑थन्तामजु॒र्या वर्णं॑ पुना॒ना य॒शसं॑ सु॒वीर॑म्॥

English Transliteration

vi śrayantām urviyā hūyamānā dvāro devīḥ suprāyaṇā namobhiḥ | vyacasvatīr vi prathantām ajuryā varṇam punānā yaśasaṁ suvīram ||

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Pad Path

वि। श्र॑यन्ताम्। उ॒र्वि॒या। हू॒यमा॑नाः। द्वारः॑। दे॒वीः। सु॒प्र॒ऽअ॒य॒नाः। नमः॑ऽभिः। व्यच॑स्वतीः। वि। प्र॒थ॒न्ता॒म्। अ॒जु॒र्याः। वर्ण॑म्। पु॒ना॒नाः। य॒शस॑म्। सु॒ऽवीर॑म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:3» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब स्त्री-पुरुषों के आचरण को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे पुरुषो ! आप (नमोभिः) अन्नादिकों वा (उर्विया) पृथिवी के साथ वर्त्तमान (द्वारः) द्वारों के समान शोभावती हुईं और (हूयमानाः) ग्रहण की हुईं (सुप्रायणाः) जिनकी सुन्दर चाल (अजुर्याः) ज्वररहित मनुष्यों में उत्तमता को प्राप्त (सुवीरम्) उत्तम वीरों से युक्त (यशसम्) यश और (वर्णम्) अपने रूप को (पुनानाः) पवित्र करती हुईं (व्यचस्वतीः) समस्त गुणों में व्याप्ति रखनेवाली (देवीः) देदीप्यमान अर्थात् चमकती-दमकती हुई स्त्रियों को (विश्रयन्ताम्) विशेषता से आश्रय करो और उनके साथ शास्त्र वा सुखों को (विप्रथन्ताम्) विशेषता को कहो-सुनो ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे कारुकों के बनाये हुए घरों में सुन्दर शोभायुक्त बनाये हुए द्वारे होवें, वैसे विदुषी धर्म्मपरायणा पतिव्रता स्त्रियाँ कीर्त्तिमती और उत्तम सन्तानों की उत्पन्न करनेवाली होती हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ स्त्रीपुरुषाचरणमाह।

Anvay:

हे पुरुषा भवन्तो नमोभिरुर्विया सह वर्त्तमाना द्वार इव सुशोभमाना हूयमानाः सुप्रायणा अजुर्या सुवीरं यशसं वर्णं पुनाना व्यचस्वतीर्देवीस्स्त्रियो विश्रयन्तां ताभिः सह शास्त्राणि सुखानि वा विप्रथन्ताम् ॥५॥

Word-Meaning: - (वि) (श्रयन्ताम्) सेवन्ताम् (उर्विया) पृथिव्या सह (हूयमानाः) जुह्वानाः (द्वारः) द्वार इव सुशोभमानाः (देवीः) देदीप्यमानाः (सुप्रायणाः) सुष्ठु प्रायणं गमनं यासां ताः (नमोभिः) अन्नादिभिः (व्यचस्वतीः) व्याप्तिमतीः (वि) (प्रथन्ताम्) प्रख्यान्तु (अजुर्याः) ज्वररहितेषु साध्वीः (वर्णम्) स्वरूपम् (पुनानाः) पवित्रकारिकाः (यशसम्) कीर्त्तिम् (सुवीरम्) उत्तमवीरयुक्तम् ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सुशिल्पिभिर्निर्मितेषु गृहेषु निर्मितानि सुशोभायुक्तानि द्वाराणि भवेयुस्तथा विदुष्यो धार्मिक्यः पतिव्रताः स्त्रियः कीर्त्तिमत्यः सुसन्तानोत्पादिका भवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे कारागिरांनी निर्माण केलेल्या घरात सुंदर शोभिवंत दरवाजे असतात तसे विदुषी धर्मपरायण पतिव्रता स्त्रिया कीर्तिमान व उत्तम संताने निर्माण करतात. ॥ ५ ॥