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तव॑ स्याम पुरु॒वीर॑स्य॒ शर्म॑न्नुरु॒शंस॑स्य वरुण प्रणेतः। यू॒यं नः॑ पुत्रा अदितेरदब्धा अ॒भि क्ष॑मध्वं॒ युज्या॑य देवाः॥

English Transliteration

tava syāma puruvīrasya śarmann uruśaṁsasya varuṇa praṇetaḥ | yūyaṁ naḥ putrā aditer adabdhā abhi kṣamadhvaṁ yujyāya devāḥ ||

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Pad Path

अव॑। स्या॒म॒। पु॒रु॒ऽवीर॑स्य। शर्म॑न्। उ॒रु॒ऽशंस॑स्य। व॒रु॒ण॒। प्र॒ने॒त॒रिति॑ प्रऽनेतः। यू॒यम्। नः॒। पु॒त्राः॒। अ॒दि॒तेः॒। अ॒द॒ब्धाः॒। अ॒भि। क्ष॒म॒ध्व॒म्। युज्या॑य। दे॒वाः॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:28» Mantra:3 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:9» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर पुत्र लोग कैसे हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (वरुण) श्रेष्ठ (प्रणेतः) सबके नायक सज्जन विद्वान् जैसे मैं (पुरुवीरस्य) बहुत प्रवीण शूर (उरुशंसस्य) बहुतों से प्रशंसा किये हुए (तव) आपके (शर्मन्) घर में हम लोग सुखी हों, हे (अदब्धाः) अहिंसनीय (नः) हमारे (पुत्राः) पुत्रो! (यूयम्) तुमलोग (युज्याय) युक्त करने योग्य व्यवहार के लिये (देवाः) विद्वान् होकर (अभि,क्षमध्वम्) सब ओर से क्षमा करनेवाले होओ ॥३॥
Connotation: - हे पुत्रो! जैसे हम लोग उत्तम विद्वान् के सम्बन्ध से नीति विद्या को प्राप्त होके आनन्दित हों, वैसे तुम लोग भी क्षमाशील होके अध्यापकों के अनुकूल आचरण से सुशिक्षित विद्वान् होओ ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः पुत्राः कीदृशाः स्युरित्याह।

Anvay:

हे वरुण प्रणेतर्यथाहं पुरुवीरस्योरुशंसस्य तव शर्मन् सुखिनः स्याम। हे अदब्धा देवा नः पुत्रा यूयमदितेर्युज्याय देवा भूत्वाऽभिक्षमध्वम् ॥३॥

Word-Meaning: - (तव) (स्याम) (पुरुवीरस्य) बहुप्रवीणशूरस्य (शर्मन्) शर्मणि गृहे (उरुशंसस्य) बहुप्रशंसितस्य (प्रणेतः) सर्वेषां नयनकर्त्तः (यूयम्) (नः) अस्माकम् (पुत्राः) (अदितेः) अखण्डितविज्ञानस्य (अदब्धाः) अहिंसनीयाः (अभि) (क्षमध्वम्) (युज्याय) योक्तुमर्हाय व्यवहाराय (देवाः) विद्वांसः ॥३॥
Connotation: - हे पुत्रा यथा वयमुत्तमस्य विदुषः सकाशान्नीतिविद्यां प्राप्यानन्दिताः स्मस्तथा यूयमपि क्षमाशीला भूत्वाऽध्यापकप्रियाचरणेन सुशिक्षिता विद्वांसो भवत ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे पुत्रांनो! जसे आम्ही उत्तम विद्वानांच्या संगतीने नीतिविद्या प्राप्त करून आनंदित होतो तसे तुम्ही क्षमाशील बनून अध्यापकाच्या अनुकूल आचरण करून सुशिक्षित विद्वान बना. ॥ ३ ॥