वि॒द्यामा॑दित्या॒ अव॑सो वो अ॒स्य यद॑र्यमन्भ॒य आ चि॑न्मयो॒भु। यु॒ष्माकं॑ मित्रावरुणा॒ प्रणी॑तौ॒ परि॒ श्वभ्रे॑व दुरि॒तानि॑ वृज्याम्॥
vidyām ādityā avaso vo asya yad aryaman bhaya ā cin mayobhu | yuṣmākam mitrāvaruṇā praṇītau pari śvabhreva duritāni vṛjyām ||
वि॒द्याम्। आ॒दि॒त्याः॒। अव॑सः। वः॒। अ॒स्य। य॒त्। अ॒र्य॒म॒न्। भ॒ये। आ। चि॒त्। म॒यः॒ऽभु। यु॒ष्माक॑म्। मि॒त्रा॒व॒रुणा॒। प्रऽनी॑तौ। परि॑। श्वभ्रा॑ऽइव। दुः॒ऽइ॒तानि॑। वृ॒ज्या॒म्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे आदित्या हे अर्यमन् यद्भये सति वोऽस्यावसश्चिन्मयोभु स्यात्तदहमाविद्याम्। हे मित्रावरुणा युष्माकं प्रणीतौ श्वभ्रेव दुरितानि परिवृज्याम् ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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