त्वं विश्वे॑षां वरुणासि॒ राजा॒ ये च॑ दे॒वा अ॑सुर॒ ये च॒ मर्ताः॑। श॒तं नो॑ रास्व श॒रदो॑ वि॒चक्षे॒ऽश्यामायूं॑षि॒ सुधि॑तानि॒ पूर्वा॑॥
tvaṁ viśveṣāṁ varuṇāsi rājā ye ca devā asura ye ca martāḥ | śataṁ no rāsva śarado vicakṣe śyāmāyūṁṣi sudhitāni pūrvā ||
त्वम्। विश्वे॑षाम्। व॒रु॒ण॒। अ॒सि॒। राजा॑। ये। च॒। दे॒वाः। अ॒सु॒र॒। ये। च॒। मर्ताः॑। श॒तम्। नः॒। रा॒स्व॒। श॒रदः॑। वि॒ऽचक्षे॑। अ॒श्याम॑। आयूं॑षि। सुधि॑तानि। पूर्वा॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब मनुष्य कैसे दीर्घ आयुवाले हों, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ मनुष्याः कथं दीर्घायुषः स्युरित्याह।
हे वरुणासुर यस्त्वं विश्वेषां राजाऽसि ये च देवाः ये च मर्त्ताः सन्ति तानस्माकं विचक्षे शतं शरदो नो रास्व यतो वयं पूर्वा सुधितान्यायूंष्यश्याम ॥१०॥
MATA SAVITA JOSHI
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