अ॒भि॒नक्ष॑न्तो अ॒भि ये तमा॑न॒शुर्नि॒धिं प॑णी॒नां प॑र॒मं गुहा॑ हि॒तम्। ते वि॒द्वांसः॑ प्रति॒चक्ष्यानृ॑ता॒ पुन॒र्यत॑ उ॒ आय॒न्तदुदी॑युरा॒विश॑म्॥
abhinakṣanto abhi ye tam ānaśur nidhim paṇīnām paramaṁ guhā hitam | te vidvāṁsaḥ praticakṣyānṛtā punar yata u āyan tad ud īyur āviśam ||
अ॒भि॒ऽनक्ष॑न्तः। अ॒भि। ये। तम्। आ॒न॒शुः। नि॒धिम्। प॒णी॒नाम्। प॒र॒मम्। गुहा॑। हि॒तम्। ते। वि॒द्वांसः॑। प्र॒ति॒ऽचक्ष्य॑। अनृ॑ता। पुनः॑। यतः॑। ऊँ॒ इति॑। आय॑न्। तत्। उत्। ई॒युः। आ॒ऽविश॑म्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
येऽभिनक्षन्तो विद्वांसस्तं गुहाहितं परमं पणीनां निधिमभ्यानशुस्तेऽन्येषामनृता प्रतिचक्ष्य पुनरु यत आविशमायन् तदुदीयुरुपदिशन्तु ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A