यो नन्त्वा॒न्यन॑म॒न्न्योज॑सो॒ताद॑र्दर्म॒न्युना॒ शम्ब॑राणि॒ वि। प्राच्या॑वय॒दच्यु॑ता॒ ब्रह्म॑ण॒स्पति॒रा चावि॑श॒द्वसु॑मन्तं॒ वि पर्व॑तम्॥
yo nantvāny anaman ny ojasotādardar manyunā śambarāṇi vi | prācyāvayad acyutā brahmaṇas patir ā cāviśad vasumantaṁ vi parvatam ||
यः। नन्त्वा॑नि। अन॑मत्। नि। ओज॑सा। उ॒त। अ॒द॒र्दः॒। म॒न्युना॑। शम्ब॑राणि। वि। प्र। अ॒च्या॒व॒य॒त्। अच्यु॑ता। ब्रह्म॑णः। पतिः॑। आ। च॒। अवि॑शत्। वसु॑ऽमन्तम्। वि। पर्व॑तम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
यो ब्रह्मणस्पती राजसेनाधीशो नन्त्वानि न्यनमद्यथा सूर्य्योऽच्युता शम्बराणि व्यदर्दः उतापि पर्वतं प्राच्यावयत्तथौजसा मन्युना शत्रुं प्राच्यावयेद्विदृणियाद्वा वसुमन्तं च व्याविशत् ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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