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ब्रह्म॑णस्पते सु॒यम॑स्य वि॒श्वहा॑ रा॒यः स्या॑म र॒थ्यो॒३॒॑ वय॑स्वतः। वी॒रेषु॑ वी॒राँ उप॑ पृङ्धि न॒स्त्वं यदीशा॑नो॒ ब्रह्म॑णा॒ वेषि॑ मे॒ हव॑म्॥

English Transliteration

brahmaṇas pate suyamasya viśvahā rāyaḥ syāma rathyo vayasvataḥ | vīreṣu vīrām̐ upa pṛṅdhi nas tvaṁ yad īśāno brahmaṇā veṣi me havam ||

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Pad Path

ब्रह्म॑णः। प॒ते॒। सु॒ऽयम॑स्य। वि॒श्वहा॑। रा॒यः। स्या॒म॒। र॒थ्यः॑। वय॑स्वतः। वी॒रेषु॑। वी॒रान्। उप॑। पृ॒ङ्धि॒। नः॒। त्वम्। यत्। ईशा॑नः। ब्रह्म॑णा। वेषि॑। मे॒। हव॑म्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:24» Mantra:15 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या करे, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (ब्रह्मणः) धन के (पते) रक्षक (रथ्यः) रथक्रिया में प्रवीण (विश्वहा) सबको जानने वा प्राप्त होनेवाले (त्वम्) आप (ब्रह्मणा) वेद से (मे) मेरे (यत्) जिस (हवम्) आह्वान बुलाने को (वेषि) प्राप्त होते हो उस आह्वान से (नः) हमको (सुयमस्य) सुन्दर संयम हों जिससे उस और (वयस्वतः) जिसके होने में अच्छा जीवन व्यतीत हो उस (रायः) धनके रक्षक (वीरेषु) वीर सिपाहियों में हम (वीरान्) वीर लोगों से (उप,पृङ्धि) समीप सम्बन्ध कीजिये जिससे हम लोग अभीष्ट कार्य सिद्ध करनेवाले (स्याम) हों ॥१५॥
Connotation: - जो लोग सुन्दर संयमवाले हों, वे बहुत काल जीवें, जो ब्रह्मचर्य्य का पालन करें, वे आत्मा और शरीर से अच्छे वीर होते हैं ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं कुर्युरित्याह।

Anvay:

हे ब्रह्मणस्पते रथ्यो विश्वहेशानस्त्वं ब्रह्मणा मे यद्धवं वेषि तेन नोऽस्मान् सुयमस्य वयस्वतो रायो वीरेषु नोऽस्मान् वीरानुपपृङ्धि यतो वयमभीष्टसिद्धाः स्याम ॥१५॥

Word-Meaning: - (ब्रह्मणः) धनस्य (पते) पालयितः (सुयमस्य) शोभना यमा यस्मात्तस्य (विश्वहा) विश्वं हन्ति जानाति प्राप्नोति वा सः (रायः) धनस्य (स्याम) भवेम (रथ्यः) रथेषु साधुः (वयस्वतः) प्रशस्तं वयो जीवनं विद्यते यस्मिँस्तस्य (वीरेषु) सुभटेषु (वीरान्) शूरान् (उप) (पृङ्धि) सम्बधान (नः) अस्मान् (त्वम्) (यत्) यम् (ईशानः) समर्थः (ब्रह्मणा) वेदेन (वेषि) प्राप्नोषि (मे) मम (हवम्) आह्वानम् ॥१५॥
Connotation: - ये सुसंयताः स्युस्ते चिरं जीवेयुः। ये ब्रह्मचर्यं पालयेयुस्त आत्मशरीराभ्यां सुवीरा जायन्ते ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे लोक संयमी असतात, ते दीर्घजीवी होतात. जे ब्रह्मचर्याचे पालन करतात ते आत्मा व शरीराने उत्तम वीर पुरुष बनतात. ॥ १५ ॥