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उ॒ताशि॑ष्ठा॒ अनु॑ शृण्वन्ति॒ वह्न॑यः स॒भेयो॒ विप्रो॑ भरते म॒ती धना॑। वी॒ळु॒द्वेषा॒ अनु॒ वश॑ ऋ॒णमा॑द॒दिः स ह॑ वा॒जी स॑मि॒थे ब्रह्म॑ण॒स्पतिः॑॥

English Transliteration

utāśiṣṭhā anu śṛṇvanti vahnayaḥ sabheyo vipro bharate matī dhanā | vīḻudveṣā anu vaśa ṛṇam ādadiḥ sa ha vājī samithe brahmaṇas patiḥ ||

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Pad Path

उ॒त। आशि॑ष्ठाः। अनु॑। शृ॒ण्व॒न्ति॒। वह्न॑यः। स॒भेयः॑। विप्रः॑। भ॒र॒ते॒। म॒ती। धना॑। वी॒ळु॒ऽद्वेषाः॑। अनु॑। वशा॑। ऋ॒णम्। आ॒ऽद॒दिः। सः। ह॒। वा॒जी। स॒म्ऽइ॒थे। ब्रह्म॑णः। पतिः॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:24» Mantra:13 | Ashtak:2» Adhyay:7» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राज पुरुष क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (आशिष्ठाः) अति शीघ्रगामी (वह्नयः) पहुँचानेवाले घोड़ों के तुल्य (वीळुद्वेषाः) दुर्गुणों से दृढ द्वेषकारी हैं उनको (अनु,शृण्वन्ति) अनुक्रम से सुनते हैं उनके साथ (समिथे) सङ्ग्राम में (सभेयः) सभामें कुशल (विप्रः) बुद्धिमान् जन (मती) बुद्धिबल से (वशा) कामना करने योग्य सुन्दर (धना) धनों को (ह,अनु) (भरते) ही अनुकूल धारण करता (उत) और (सः) वह (वाजी) प्रशस्तज्ञानी (ब्रह्मणः,पतिः) राज्य के धन का रक्षक (णम्) ण अर्थात् कर रूप धन का (आददिः) ग्रहण करनेवाला है ॥१३॥
Connotation: - वह्नि यह घोड़े का गौण नाम है। जैसे अग्नि पहुँचानेवाले होते हैं, वैसे ही घोड़े भी होते हैं। राजपुरुष जिन दुष्टाचारियों को सुनें, उनको वश में करके सब का प्रिय सिद्ध किया करें ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजजनाः किं कुर्य्युरित्याह।

Anvay:

य आशिष्ठा वह्नय इव वीळुद्वेषाः सन्ति ताननुशृण्वन्ति तैः सह समिथे सभेयो विप्रो मती मत्या वशा धना हानु भरते उतापि स वाजी ब्रह्मणस्पतिरृणमाददिस्स्यात् ॥१३॥

Word-Meaning: - (उत) (आशिष्ठाः) अतिशयेनाशुगामिनः (अनु) (शृण्वन्ति) (वह्नयः) वोढारोऽश्वाः (सभेयः) सभायां साधुः (विप्रः) मेधावी (भरते) धरति (मती) मत्या प्रज्ञया (धना) धनानि (वीळुद्वेषा) दृढद्वेषाः (अनु) (वशा) कमनीयानि (णम्) (आददिः) आदाता (सः) (ह) किल (वाजी) प्रशस्तविज्ञानः (समिथे) सङ्ग्रामे (ब्रह्मणः) राज्यधनस्य (पतिः) पालकः ॥१३॥
Connotation: - वह्निरित्यश्वस्य गौणिकं नाम। यथा वह्नयो वोढारः सन्ति तथैवाश्वा भवन्ति राजपुरुषा यान्दुष्टाचारान् शृणुयुस्तान् वशीकृत्य सर्वप्रियं साध्नुयुः ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - वह्नि हे घोड्याचे गौण नाव आहे. जसा अग्नी कुठेही पोचविणारा असतो तसे घोडेही असतात. राजपुरुषांनी ज्या दुष्ट लोकांबद्दल ऐकलेले असते त्यांना वश करून सर्वांचे प्रिय करावे. ॥ १३ ॥