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त्रा॒तारं॑ त्वा त॒नूनां॑ हवाम॒हेऽव॑स्पर्तरधिव॒क्तार॑मस्म॒युम्। बृह॑स्पते देव॒निदो॒ नि ब॑र्हय॒ मा दु॒रेवा॒ उत्त॑रं सु॒म्नमुन्न॑शन्॥

English Transliteration

trātāraṁ tvā tanūnāṁ havāmahe vaspartar adhivaktāram asmayum | bṛhaspate devanido ni barhaya mā durevā uttaraṁ sumnam un naśan ||

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Pad Path

त्रा॒तार॑म्। त्वा॒। त॒नूना॑म्। ह॒वा॒म॒हे॒। अव॑ऽस्पर्तः। अ॒धि॒ऽव॒क्तार॑म्। अ॒स्म॒युम्। बृह॑स्पते। दे॒व॒ऽनिदः॑। नि। ब॒र्ह॒य॒। मा। दुः॒ऽएवाः॑। उत्ऽत॑रम्। सु॒म्नम्। उत्। न॒श॒न्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:23» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:30» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अवस्पर्त्तः) रक्षा कर दुःख से पार करने और (बृहस्पते) बड़ों की रक्षा करनेवाले हम लोग जिस (तनूनाम्) विस्तृत सुखसाधक शरीरादिकों वा अन्य पदार्थों के (त्रातारम्) रक्षा करने वा (अस्मयुम्) हम लोगों की कामना करने वा (अधिवक्तारम्) सबके ऊपर उपदेश करनेवाले (त्वा) आप जगदीश्वर वा सभापति को (हवामहे) स्वीकार करते हैं सो आप (देवनिदः) जो विद्वान् वा दिव्य गुणों की निन्दा करते उनको (नि,बर्हय) निरन्तर छिन्न-भिन्न करो, जिससे (दुरेवाः) दुष्टाचरण करनेवाले (उत्तरम्) उसके उपरान्त (सुम्नम्) सुख को (मा,उत् नशन्) मत नष्ट करावें ॥८॥
Connotation: - जो अपना उपदेश करने और रक्षा करनेवाला परमात्मा वा आप्त विद्वान् मानते हैं, वे सब ओर से बढ़ते हैं। जो विद्वान् ईश्वर और वेद की निन्दा भविष्यत् का आनन्द नष्ट करनेवाले हों, उनको सब ओर से निवृत्त करावें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुन्स्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अवस्पर्त्तर्बृहस्पते वयं यं तनूनां त्रातारमस्मयुमधिवक्तारं त्वा त्वां हवामहे स त्वं देवनिदो निबर्हय यतो दुरेवा उत्तरं सुम्नं मोन्नशन् ॥८॥

Word-Meaning: - (त्रातारम्) रक्षितारम् (त्वा) त्वां जगदीश्वरं सभेशं वा (तनूनाम्) विस्तृतसुखसाधकानां शरीरादीनां पदार्थानां वा (हवामहे) स्वीकुर्महे (अवस्पर्त्तः) अवसा रक्षणेन दुःखात्पारकर्त्तः (अधिवक्तारम्) सर्वेषामुपर्युपदेशकम् (अस्मयुम्) अस्मान् कामयमानम् (बृहस्पते) बृहतां रक्षकः (देवनिदः) ये देवान् विदुषो दिव्यगुणान् वा निन्दन्ति तान् (नि) (बर्हय) नितरामुत्पाटय (मा) (दुरेवाः) दुराचरणाः (उत्तरम्) अर्वाक्कालीनम् (सुम्नम्) सुखम् (उत्) (नशन्) नाशयेयुः ॥८॥
Connotation: - ये स्वेषामुपदेष्टारं रक्षितारञ्च परमात्मानमाप्तं कुर्वन्ति ते सर्वतो वर्द्धन्ते। ये विद्वदीश्वरवेदनिन्दका भविष्यदानन्दविच्छेदका भवेयुस्तान् सर्वतो निवारयेयुः ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - उपदेश करणाऱ्या व रक्षण करणाऱ्या परमात्म्याला, आप्त विद्वानांना जे मानतात त्यांची सगळीकडून वृद्धी होते. जे लोक विद्वान, ईश्वर, वेदाची निंदा करून भविष्याचा आनंद नष्ट करतात, त्यांचे सगळीकडून निवारण करावे. ॥ ८ ॥