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ए॒वा ते॑ गृत्सम॒दाः शू॑र॒ मन्मा॑व॒स्यवो॒ न व॒युना॑नि तक्षुः। ब्र॒ह्म॒ण्यन्त॑ इन्द्र ते॒ नवी॑य॒ इष॒मूर्जं॑ सुक्षि॒तिं सु॒म्नम॑श्युः॥

English Transliteration

evā te gṛtsamadāḥ śūra manmāvasyavo na vayunāni takṣuḥ | brahmaṇyanta indra te navīya iṣam ūrjaṁ sukṣitiṁ sumnam aśyuḥ ||

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Pad Path

ए॒व। ते॒। गृ॒त्स॒ऽम॒दाः। शू॒र॒। मन्म॑। अ॒व॒स्यवः॑। न। व॒युना॑नि। त॒क्षुः॒। ब्र॒ह्म॒ण्यन्तः॑। इ॒न्द्र॒। ते॒। नवी॑यः। इष॑म्। ऊर्ज॑म्। सु॒ऽक्षि॒तिम्। सु॒म्नम्। अ॒श्युः॒॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:19» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (शूर) शूर (इन्द्र) विद्वान् जो (गृत्समदाः) अभीष्ट आनन्दवाले (ब्रह्मण्यन्तः) धन की कामना करते हुए जन (ते) आपके (मन्म) मन्तव्य को और (अवस्यवः) अपने को रक्षा चाहते हुए के (न) समान (वयुनानि) उत्तम ज्ञानों को (तक्षुः) विस्तारें वे (एव) ही (ते) आपके (नवीयः) नवीन (इषम्) अन्न और (ऊर्जम्) पराक्रम को तथा (सुक्षितिम्) सुन्दर भूमि को और (सुम्नम्) सुख को (अश्युः) प्राप्त हों ॥८॥
Connotation: - जो विद्वानों की उत्तम शिक्षा से विज्ञानवान् हों, वे अनेकविध सुख को प्राप्त हों ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे शूरेन्द्र ये गृत्समदा ब्रह्मण्यन्तो जनास्ते मन्मावस्यवो न वयुनानि तक्षुस्त एव ते तव नवीय इषमूर्जं सुक्षितिं सुम्नं चाश्युः ॥८॥

Word-Meaning: - (एव) अत्रापि दीर्घः (ते) तव (गृत्समदाः) गृत्सोऽभिकाङ्क्षितो मद आनन्दो येषान्ते (शूर) (मन्म) मन्तव्यम् (अवस्यवः) आत्मनो रक्षणमिच्छवः (न) इव (वयुनानि) प्रज्ञानानि (तक्षुः) विस्तृणीयुः (ब्रह्मण्यन्तः) ब्रह्म धनं कामयन्तः (इन्द्र) विद्वन् (ते) तव (नवीयः) नवीनम् (इषम्) अन्नम् (ऊर्जम्) पराक्रमम् (सुक्षितिम्) शोभनां भूमिम् (सुम्नम्) सुखम् (अश्युः) प्राप्नुयुः ॥८॥
Connotation: - ये विदुषां सुशिक्षया विज्ञानवन्तो भवेयुस्तेऽनेकविधं सुखमश्नुयुः ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वानांद्वारे उत्तम शिक्षण घेऊन विज्ञानवान होतात ते अनेक प्रकारे सुख प्राप्त करतात. ॥ ८ ॥