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स र॑न्धयत्स॒दिवः॒ सार॑थये॒ शुष्ण॑म॒शुषं॒ कुय॑वं॒ कुत्सा॑य। दिवो॑दासाय नव॒तिं च॒ नवेन्द्रः॒ पुरो॒ व्यै॑र॒च्छम्ब॑रस्य॥

English Transliteration

sa randhayat sadivaḥ sārathaye śuṣṇam aśuṣaṁ kuyavaṁ kutsāya | divodāsāya navatiṁ ca navendraḥ puro vy airac chambarasya ||

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Pad Path

सः। र॒न्ध॒य॒त्। स॒ऽदिवः॑। सार॑थये। शुष्ण॑म्। अ॒शुष॑म्। कुय॑वम्। कुत्सा॑य। दिवः॑ऽदासाय। न॒व॒तिम्। च॒। नव॑। इन्द्रः॑। पुरः॑। वि। ऐ॒र॒त्। शम्ब॑रस्य॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:19» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सूर्य विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो मनुष्यों को (इन्द्रः) सूर्य (कुत्साय) निन्दित (सारथये) अच्छे सीखे हुए या चलानेवाले के लिये (अशुषम्) गीले (शुष्णम्) बल (कुयवम्) कुत्सित सङ्गम और (सदिवः) प्रकाश के सहित वर्त्तमान अर्थात् अन्तरिक्षस्थ पदार्थों को (रन्धयत्) अच्छे प्रकार सिद्ध करता है (दिवोदासाय) प्रकाश देनेवाले के लिये (नव,नवतिम्,च) निन्यानवें (शम्बरस्य) मेघ के (पुरः) पुरों को (व्यैरत्) प्रेरित करता है (सः) वह उपयोग में लाना योग्य है ॥६॥
Connotation: - जो मनुष्य दुष्ट बल को और कुशिक्षा को निवार के बल और उत्तम शिक्षाओं से कुसंस्कारों को निवार के सैकड़ों बोधों को उत्पन्न करते हैं, वे सर्वदा पूज्य होते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सूर्यविषयमाह।

Anvay:

यो मनुष्यो इन्द्रः कुत्साय सारथयेऽशुषं शुष्णं कुयवं सदिवो रन्धयद्दिवोदासाय नवनवतिं शम्बरस्य पुरो व्यैरत्स सततमुपयोक्तव्यः ॥६॥

Word-Meaning: - (सः) (रन्धयत्) संराध्नोति (सदिवः) द्यावा सह (वर्त्तमानाम्) (सारथये) सुशिक्षिताय यानप्रचालकाय (शुष्णम्) बलम् (अशुषम्) अशुष्कमार्द्रम् (कुयवम्) कुत्सितसङ्गमम् (कुत्साय) निन्दिताय (दिवोदासाय) प्रकाशदात्रे (नवतिम्) (च) (नव) (इन्द्रः) सूर्यः (पुरः) पुराणि (वि) (ऐरत्) ऐरयति (शम्बरस्य) मेघस्य ॥६॥
Connotation: - ये मनुष्या दुष्टं बलं कुशिक्षां च निवर्त्य बलसुशिक्षाभ्यां कुसंस्कारान्निवार्य शतसो बोधाञ्जनयन्ति ते सर्वदा पूज्या भवन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे दुष्ट बल व वाईट शिक्षण यांचे निवारण करून बल व उत्तम शिक्षणांनी कुसंस्काराचे निवारण करून शेकडो प्रकारचे ज्ञान उत्पन्न करतात ती सदैव पूज्य ठरतात. ॥ ६ ॥