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आ द्वाभ्यां॒ हरि॑भ्यामिन्द्र या॒ह्या च॒तुर्भि॒रा ष॒ड्भिर्हू॒यमा॑नः। आष्टा॒भिर्द॒शभिः॑ सोम॒पेय॑म॒यं सु॒तः सु॑मख॒ मा मृध॑स्कः॥

English Transliteration

ā dvābhyāṁ haribhyām indra yāhy ā caturbhir ā ṣaḍbhir hūyamānaḥ | āṣṭābhir daśabhiḥ somapeyam ayaṁ sutaḥ sumakha mā mṛdhas kaḥ ||

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Pad Path

आ। द्वाभ्या॑म्। हरि॑ऽभ्याम्। इ॒न्द्र॒। या॒हि॒। आ। च॒तुःऽभिः॑। आ। ष॒ट्ऽभिः। हू॒यमा॑नः। आ। अ॒ष्टा॒भिः। द॒शऽभिः॑। सो॒म॒ऽपेय॑म्। अ॒यम्। सु॒तः। सु॒ऽम॒ख॒। मा। मृधः॑। क॒रिति॑ कः॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:18» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:21» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) परमैश्वर्ययुक्त (हूयमानः) बुलाये हुए आप (द्वाभ्याम्) दो (हरिभ्याम्) हरणशील पदार्थों से युक्त यानसे आओ, छः पदार्थों से युक्त यानसे आओ (अष्टाभिः) आठ वा (दशभिः) दश पदार्थों से युक्त यान से आओ, जो (अयम्) यह (सुतः) उत्पन्न किया हुआ पदार्थों का पीने योग्य रस है उस (सोमपेयम्) पदार्थों के रस के पीने के लिये आओ, हे (सुमख) सुन्दर यज्ञोंवाले आप सज्जनों के साथ (मृधः) अभीष्ट संग्रामों को (मा,कः) मत करो ॥४॥
Connotation: - जो अनेक अग्नि आदि पदार्थों से उत्पन्न किये हुए यन्त्रों से चलाये हुए यानों में स्थित होकर जाते आते हैं, वे स्तुति के साथ प्रकट होते हैं। जो धार्मिकों के साथ विरोध नहीं करते, वे विजयी होते हैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र हूयमानस्त्वं द्वाभ्यां हरिभ्यां युक्तेन यानेना याहि चतुर्भिर्युक्तेनायाहि। षड्भिर्युक्तेना याहि। अष्टाभिर्दशभिश्च युक्तेन योऽयं सुतः सोमस्तं सोमपेयमायाहि। हे सुमख त्वं सज्जनैस्सह मृधो मा कः ॥४॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (द्वाभ्याम्) (हरिभ्याम्) हरणशीलाभ्यां पदार्थाभ्याम् (इन्द्र) परमैश्वर्ययुक्त (याहि) गच्छ (आ) समन्तात् (चतुर्भिः) (आ) (षड्भिः) (हूयमानः) (आ) (अष्टाभिः) (दशभिः) (सोमपेयम्) सोमानां पदार्थानां पातुं योग्यम् (अयम्) (सुतः) निष्पन्नः (सुमख) शोभना मखा यज्ञा यस्य तत्सम्बुद्धौ (मा) निषेधे (मृधः) अभिकाङ्क्षितान् सङ्ग्रामान् (कः) कुर्य्याः ॥४॥
Connotation: - येऽनेकैर्वह्न्यादिभिः पदार्थैर्जनितैर्यन्त्रैश्चालितेषु यानेषु स्थित्वा गच्छन्त्यागच्छन्ति ते स्तुत्या जायन्ते ये धार्मिकैः सह विरोधं न कुर्वन्ति ते विजयिनो भवन्ति ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे अग्नी इत्यादी पदार्थांनी उत्पन्न झालेल्या यंत्राद्वारे चालविलेल्या यानांमध्ये स्थित होऊन जातात येतात ते स्तुतीस पात्र असतात. जे धार्मिकांना विरोध करीत नाहीत ते विजयी होतात. ॥ ४ ॥