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रासि॒ क्षयं॒ रासि॑ मि॒त्रम॒स्मे रासि॒ शर्ध॑ इन्द्र॒ मारु॑तं नः। स॒जोष॑सो॒ ये च॑ मन्दसा॒नाः प्र वा॒यवः॑ पा॒न्त्यग्र॑णीतिम्॥

English Transliteration

rāsi kṣayaṁ rāsi mitram asme rāsi śardha indra mārutaṁ naḥ | sajoṣaso ye ca mandasānāḥ pra vāyavaḥ pānty agraṇītim ||

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Pad Path

रासि॑। क्षय॑म्। रासि॑। मि॒त्रम्। अ॒स्मे इति॑। रासि॑। शर्धः॑। इ॒न्द्र॒। मारु॑तम्। नः॒। स॒ऽजोष॑सः। ये। च॒। म॒न्द॒सा॒नाः। प्र। वा॒यवः॑। पा॒न्ति॒। अग्र॑ऽनीतिम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:11» Mantra:14 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:5» Mantra:4 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) बल के देनेवाले ! (ये) जो (नः) हम लोगों की (मन्दसानाः) कामना करते हुए (सजोषसः) समान प्रीतिवाले (वायवः) विज्ञान बलयुक्त जन (अग्रणीतिम्) आगे होनेवाली उत्तम नीति को (प्र,यान्ति) प्राप्त होते हैं उनके समान हम लोग प्राप्त होवें जिससे आप (अस्मे) हम लोगों के लिये (क्षयम्) निवास (रासि) देते हो (मित्रम्) मित्र (रासि) देते हो और (मारुतम्) मनुष्यों को (शर्द्धः) बल (च) भी (रासि) देते हो इससे प्रशंसनीय हो ॥१४॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मित्र हो विद्या और विनय को प्राप्त होकर सत्य की कामना करते हैं, वे सबको सुख दे सकते हैं ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र ये नोऽस्मान्मन्दसानाः सजोषसश्च वायवोऽग्रणीतिं प्रयान्ति तैस्समं वयं याम यतस्त्वमस्मे क्षयं रासि मित्रं रासि मारुतं शर्द्धश्च रासि तस्मात्प्रशंसनीयोऽसि ॥१४॥

Word-Meaning: - (रासि) ददासि (क्षयम्) निवासम् (रासि) (मित्रम्) सखायम् (अस्मे) अस्मभ्यम् (रासि) (शर्द्धः) बलम् (इन्द्र) बलप्रद (मारुतम्) मरुतां मनुष्याणामिदम् (नः) अस्मान् (सजोषसः) समानप्रीतयः (ये) (च) (मन्दसानाः) कामयमानाः (प्र) (वायवः) विज्ञानबलयुक्ताः (यान्ति) (अग्रणीतिम्) अग्रा श्रेष्ठा चासौ नीतिश्च ताम् ॥१४॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये सखायो भूत्वा विद्याविनयौ प्राप्य सत्यं कामयन्ते ते सर्वेभ्यः सुखं दातुं शक्नुवन्ति ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे मित्र असतात, विद्या व विनय प्राप्त करून सत्याची कामना करतात ते सर्वांना सुख देऊ शकतात. ॥ १४ ॥