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स्याम॒ ते त॑ इन्द्र॒ ये त॑ ऊ॒ती अ॑व॒स्यव॒ ऊर्जं॑ व॒र्धय॑न्तः। शु॒ष्मिन्त॑मं॒ यं चा॒कना॑म देवा॒स्मे र॒यिं रा॑सि वी॒रव॑न्तम्॥

English Transliteration

syāma te ta indra ye ta ūtī avasyava ūrjaṁ vardhayantaḥ | śuṣmintamaṁ yaṁ cākanāma devāsme rayiṁ rāsi vīravantam ||

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Pad Path

स्याम॑। ते। ते॒। इ॒न्द्र॒। ये। ते॒। ऊ॒ती। अ॒व॒स्यवः॑। ऊर्ज॑म्। व॒र्धय॑न्तः। शु॒ष्मिन्ऽत॑मम्। यम्। चा॒कना॑म। दे॒व॒। अ॒स्मे इति॑। र॒यिम्। रा॒सि॒। वी॒रऽव॑न्तम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:11» Mantra:13 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:5» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (देव) मनोहर (इन्द्र) ऐश्वर्य के देनेवाले ! (ये) जो (अवस्यवः) अपनी रक्षा चाहते और (ते) आपकी (ऊती) रक्षा आदि क्रिया से (ऊर्जम्) पराक्रम को (वर्द्धयन्तः) बढ़ाते हुए आपकी रक्षा करते (ते) वे अतुल सुख को प्राप्त होते हैं जिन (ते) आपके सम्बन्ध में हम लोग (यम्) जिस (शुष्मिन्तमम्) अति बलवान् (वीरवन्तम्) वीरों के प्रसिद्ध करानेवाले (रयिम्) धन को (चाकनाम) चाहें आप (अस्मे) हम लोगों के लिये इसको (रासि) देते हो उसको प्राप्त हो हम लोग सुखी (स्याम) हों ॥१३॥
Connotation: - जो भी मनुष्य परस्पर की वृद्धि करते हैं, वे सब ओर से बढ़ते हैं, किसी को अच्छी कामना नहीं छोड़नी चाहिये ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे देवेन्द्र येऽवस्यवस्त ऊती ऊर्जं वर्द्धयन्तस्त्वां रक्षन्ति तेऽतुलं सुखं प्राप्नुवन्ति यस्य ते सम्बन्धे वयं यं शुष्मिन्तमं वीरवन्तं रयिं चाकनाम त्वमस्मे एतं रासि तं प्राप्य वयं सुखिनः स्याम ॥१३॥

Word-Meaning: - (स्याम) भवेम (ते) (ते) तव (इन्द्र) ऐश्वर्यप्रद (ये) (ते) तव (ऊती) ऊत्या रक्षणादिक्रियया सह (अवस्यवः) आत्मनोऽवो रक्षणमिच्छन्तः (ऊर्जम्) पराक्रमम् (वर्द्धयन्तः) (शुष्मिन्तमम्) अतिशयेन बलवन्तम् (यम्) (चाकनाम) कामयेमहि (देव) कमनीय (अस्मे) अस्मभ्यम् (रयिम्) श्रियम् (रासि) ददासि (वीरवन्तम्) वीरा भवन्ति यस्मात्तम् ॥१३॥
Connotation: - ये मनुष्याः परस्परस्य वृद्धिं कुर्वन्ति ते सर्वतो वर्द्धन्ते केनचित्सुकामना नैव त्याज्या ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे परस्पर वृद्धी करतात ती सगळीकडून वर्धित होतात. त्यासाठी कुणीही चांगल्या कामनेचा त्याग करू नये. ॥ १३ ॥