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त्वाम॑ग्ने॒ दम॒ आ वि॒श्पतिं॒ विश॒स्त्वां राजा॑नं सुवि॒दत्र॑मृञ्जते। त्वं विश्वा॑नि स्वनीक पत्यसे॒ त्वं स॒हस्रा॑णि श॒ता दश॒ प्रति॑॥

English Transliteration

tvām agne dama ā viśpatiṁ viśas tvāṁ rājānaṁ suvidatram ṛñjate | tvaṁ viśvāni svanīka patyase tvaṁ sahasrāṇi śatā daśa prati ||

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Pad Path

त्वाम्। अ॒ग्ने॒। दमे॑। आ। वि॒श्पति॑म्। विशः॑। त्वाम्। राजा॑नम्। सु॒ऽवि॒दत्र॑म्। ऋ॒ञ्ज॒ते॒। त्वम्। विश्वा॑नि। सु॒ऽअ॒नी॒क॒। प॒त्य॒से॒। त्वम्। स॒हस्रा॑णि। श॒ता। दश॑। प्रति॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:1» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के समान प्रतापवान् (विश्पतिम्) प्रजा की पालना करनेवाले ! (त्वाम्) (आपको) (विशः) प्रजाजन (दमे) निज घर में (आञ्जते) सब और से प्रसिद्ध करते हैं अर्थात् प्रजापति मानते हैं। और (सुविदत्रम्) सुन्दर देनेवाले (त्वाम्) (आपको) (राजानम्) अपना स्वामी प्रसिद्ध करते हैं। हे (स्वनीक) सुन्दर सेना रखनेवाले ! (त्वम्) आप (विश्वानि) समस्त पदार्थों को (पत्यसे) पतिभाव को प्राप्त होते हैं। और (त्वम्) आप (सहस्राणि) (सहस्रों) (शता) सैकड़ों और (दश) दहाइयों के (प्रति) प्रति पतिभाव को प्राप्त होते हैं ॥८॥
Connotation: - वही राजा होने योग्य है, जिसको समस्त प्रजाजन स्वीकार करें। वही सेनापति होने को योग्य है, जो दश वा सौ वा सहस्र वीरों के साथ युद्ध कर सकता है ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अग्ने विश्पतिं त्वां विशो दमे आ ञ्जते सुविदत्रं त्वां राजानमृञ्जते। हे स्वनीक त्वं विश्वानि पत्यसे त्वं सहस्राणि शता दश प्रति पत्यसे ॥८॥

Word-Meaning: - (त्वाम्) (अग्ने) अग्निरिव (दमे) निजगृहे (आ) समन्तात् (विश्पतिम्) प्रजापालकम् (विशः) प्रजाः (त्वाम्) (राजानम्) स्वस्वामिनम् (सुविदत्रम्) सुष्ठुदातारम् (ञ्जते) प्रसाध्नुवन्ति। अत्र व्यत्ययेनात्मनेपदमेकवचनञ्च ञ्जतिः प्रसाधनकर्मा० निघं० २। ११ (त्वम्) (विश्वानि) सर्वाणि (स्वनीक) शोभनमनीकं सेना यस्य तत्सम्बुद्धौ (पत्यसे) पतिभावमाचरसि (त्वम्) (सहस्राणि) (शता) शतानि (दश) (प्रति) ॥८॥
Connotation: - स एव राजा भवितुर्महति यं सर्वाः प्रजाः स्वीकुर्य्युः। स एव सैनापत्यमर्हति यो दशभिः शतैः सहस्रैश्च वीरैः सह योद्धुं शक्नोति ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्याला संपूर्ण प्रजा स्वीकारते तोच राजा होण्यायोग्य असतो, जो दहा, शंभर किंवा हजार वीरांबरोबर युद्ध करू शकतो तोच सेनापती होण्यायोग्य असतो. ॥ ८ ॥