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तवा॑ग्ने हो॒त्रं तव॑ पो॒त्रमृ॒त्वियं॒ तव॑ ने॒ष्ट्रं त्वम॒ग्निदृ॑ताय॒तः। तव॑ प्रशा॒स्त्रं त्वम॑ध्वरीयसि ब्र॒ह्मा चासि॑ गृ॒हप॑तिश्च नो॒ दमे॑॥

English Transliteration

tavāgne hotraṁ tava potram ṛtviyaṁ tava neṣṭraṁ tvam agnid ṛtāyataḥ | tava praśāstraṁ tvam adhvarīyasi brahmā cāsi gṛhapatiś ca no dame ||

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Pad Path

तव॑। अ॒ग्ने॒। हो॒त्रम्। तव॑। पो॒त्रम्। ऋ॒त्विय॑म्। तव॑। ने॒ष्ट्रम्। त्वम्। अ॒ग्नित्। ऋ॒त॒ऽय॒तः। तव॑। प्र॒ऽशा॒स्त्रम्। त्वम्। अ॒ध्व॒रि॒ऽय॒सि॒। ब्र॒ह्मा। च॒। असि॑। गृ॒हऽप॑तिः। च॒। नः॒। दमे॑॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:1» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:2» Anuvak:1» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के समान बलवान् वर्त्तमान विद्वान् ! (तव) विद्या, धर्म और नम्रता से प्रकाशमान जो आप उनका (होत्रम्) जिसमें पदार्थ होमा जाता वह होता का काम (तव) आपका (पोत्रम्) पवित्र काम (तव) आपका (नेष्ट्रम) पहुँचाने का काम वह है (त्वियम्) कि जो त्विजों के योग्य है (त्वम्) आप (अग्नित्) अग्नि को प्रदीप्त करनेवाले और (तायतः) अपने को सत्य की इच्छा करनेवाले (तव) आपका (प्रशास्त्रम्) उत्तम शिक्षा करना काम है (त्वम्) आप (अध्वरीयसि) अपने को अहिंसा कर्म की इच्छा करते (त्वम्)आप (ब्रह्मा) चारों वेदों के जाननेवाले (च, असि) हैं और (नः) हम लोगों के (दमे) जिसमें जन इन्द्रियों का दमन करते हैं इस घर में (गृहपतिः) घर के कामों की रक्षा करनेहारे (च) भी हैं ॥२॥
Connotation: - जिस पुरुष का अग्निहोत्र के तुल्य उपकार, त्विजों के कर्म के समान पवित्र क्रिया, आप्त विद्वानों के समान न्याय, अग्नि विद्या को जाननेवाले के समान उद्यम, न्यायाधीश के समान न्याय-व्यवस्था, यज्ञ करनेवाले के समान अहिंसा, वेदपारङ्गत के समान विद्या, और गृहपति के समान ऐश्वर्य्य का संग्रह हो, वही प्रशंसा को प्राप्त होने योग्य होता है ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अग्ने अग्निरिव वर्त्तमान तव होत्रं तव पोत्रं तव नेष्ट्रमृत्वियं त्वमग्निदृतायतस्तव प्रशास्त्रं चाऽस्ति यस्त्वमध्वरीयसि त्वं ब्रह्मा चाऽसि नो दमे गृहपतिश्चाऽसि ॥२॥

Word-Meaning: - (तव) विद्याधर्मविनयै राजमानस्य (अग्ने) पावकवद्बलिष्ठ (होत्रम्) हूयते दीयते यस्मिँस्तत् (तव) (पोत्रम्) पवित्रम् (त्वियम्) त्विगर्हम् (तव) (नेष्ट्रम्) नयनम् (त्वम्) (अग्नित्) पावकप्रदीप्तकरः (तायतः) आत्मन तं सत्यमिच्छतः (तव) (प्रशास्त्रम्) प्रशासनम् (त्वम्) (अध्वरीयसि) आत्मनोऽध्वरमहिंसामिच्छसि (ब्रह्मा) चतुर्वेदवित् (च) (असि) (गृहपति) गृहकृत्यस्य पालकः (च) (नः) अस्माकम् (दमे) दाम्यन्ति जना यस्मिन् गृहे तस्मिन् गृहे। अयं मन्त्रः निरुक्ते व्याख्यातः [?] । निरु० १। ८॥ ॥२॥
Connotation: - यस्य पुरुषस्याग्निहोत्रवदुपकार त्विक्कर्मवत् पवित्रा क्रियाऽऽप्तवन्न्यायोऽग्निविद्याविज्ञातृवदुद्यमो न्यायाधीशवन्न्यायव्यवस्था यजमानवदहिंसा वेदपारगवद्विद्या गृहपतिवदैश्वर्य्यसंग्रहश्च स्यात्स एव प्रशंसां प्राप्तुमर्हति ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - ज्या पुरुषाचा अग्निहोत्राप्रमाणे उपकार, ऋत्विजाच्या कर्माप्रमाणे पवित्र क्रिया, आप्तविद्वानाप्रमाणे न्याय, अग्निविद्या जाणणाऱ्याप्रमाणे उद्योग, न्यायाधीशाप्रमाणे न्यायव्यवस्था, याज्ञिक यजमानाप्रमाणे अहिंसा, वेदपारंगताप्रमाणे विद्या, गृहपतीप्रमाणे ऐश्वर्यसंग्रह असतो, त्याचीच प्रशंसा होते. ॥ २ ॥