त्वम॑ग्ने॒ अदि॑तिर्देव दा॒शुषे॒ त्वं होत्रा॒ भार॑ती वर्धसे गि॒रा। त्वमिळा॑ श॒तहि॑मासि॒ दक्ष॑से॒ त्वं वृ॑त्र॒हा व॑सुपते॒ सर॑स्वती॥
tvam agne aditir deva dāśuṣe tvaṁ hotrā bhāratī vardhase girā | tvam iḻā śatahimāsi dakṣase tvaṁ vṛtrahā vasupate sarasvatī ||
त्वम्। अ॒ग्ने॒। अदि॑तिः। दे॒व॒। दा॒शुषे॑। त्वम्। होत्रा॑। भार॑ती। व॒र्ध॒से॒। गि॒रा। त्वम्। इळा॑। श॒तऽहि॑मा। अ॒सि॒। दक्ष॑से। त्वम्। वृ॒त्र॒ऽहा। व॒सु॒ऽप॒ते॒। सर॑स्वती॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर अध्यापकविषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनरध्यापकविषयमाह।
हे देवाऽग्ने त्वं दाशुषेऽदितिरसि त्वं होत्रा भारती सन् गिरा वर्द्धसे त्वं दक्षसे शतहिमा इडाऽसि। हे वसुपते त्वं वृत्रहा तथा सरस्वत्यसि ॥११॥
MATA SAVITA JOSHI
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