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ओष॑धी॒: प्रति॑ मोदध्वं॒ पुष्प॑वतीः प्र॒सूव॑रीः । अश्वा॑ इव स॒जित्व॑रीर्वी॒रुध॑: पारयि॒ष्ण्व॑: ॥

English Transliteration

oṣadhīḥ prati modadhvam puṣpavatīḥ prasūvarīḥ | aśvā iva sajitvarīr vīrudhaḥ pārayiṣṇvaḥ ||

Pad Path

ओष॑धीः । प्रति॑ । मो॒द॒ध्व॒म् । पुष्प॑ऽवतीः । प्र॒ऽसूव॑रीः । अश्वाः॑ऽइव । स॒ऽजित्व॑रीः । वी॒रुधः॑ । पा॒र॒यि॒ष्ण्वः॑ ॥ १०.९७.३

Rigveda » Mandal:10» Sukta:97» Mantra:3 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:3


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ओषधीः) हे ओषधियो ! (पुष्पवतीः) फूलवाली (प्रसूवरीः) बीजवाली-अर्थात् धान्यवाली और फलवाली (अश्वाः-इव) मार्गों को व्याप्त होनेवाले घोड़ों के समान (वीरुधः) बढ़नेवाली (सजित्वरीः) प्रयोग के साथ ही तुरन्त रोग को जीतनेवाली (पारयिष्ण्वः) रोगों के पार, स्वास्थ्य को प्राप्त कराने की गुणवाली (प्रतिमोदध्वम्) तथा फूलती-फलती हुई विकसित रहो ॥३॥
Connotation: - खाद्याधिकारी, वैद्य एवं वनविभाग के अधिकारी ऐसा यत्न निरन्तर करते रहें, जिससे औषधियाँ, वनस्पतियाँ अन्न फल देनेवाली, रोगनिवृत्त करनेवाली, सदा फलती-फूलती रहें ॥३॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ओषधीः-पुष्पवतीः प्रसूवरीः) हे ओषधयः ! यूयं पुष्पवत्यः प्रसूयन्ते येभ्यस्तानि बीजानि फलानि तद्वत्यः फलबीजवत्यः (वीरुधः-अश्वाः-इव-सजित्वरीः) हे ओषधयः ! यूयं मार्गं व्याप्नुवन्तोऽश्वा इव सहैव प्रयोगेण सद्यो रोगं जयन्त्यः (पारयिष्ण्वः) रोगिणं रोगात् पारकरणगुणवत्यः सत्यः (प्रतिमोदध्वम्) विकसिता भवत ॥३॥