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अ॒व॒पत॑न्तीरवदन्दि॒व ओष॑धय॒स्परि॑ । यं जी॒वम॒श्नवा॑महै॒ न स रि॑ष्याति॒ पूरु॑षः ॥

English Transliteration

avapatantīr avadan diva oṣadhayas pari | yaṁ jīvam aśnavāmahai na sa riṣyāti pūruṣaḥ ||

Pad Path

अ॒व॒ऽपत॑न्तीः । अ॒व॒द॒न् । दि॒वः । ओष॑धयः । परि॑ । यम् । जी॒वम् । अ॒श्नवा॑महै । न । सः । रि॒ष्या॒ति॒ । पुरु॑षः ॥ १०.९७.१७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:97» Mantra:17 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:17


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (दिवः) आकाश से (अवपतन्तीः) बीजरूप से जल द्वारा नीचे भूमि पर गिरती हुई-आती हुई (ओषधयः) ओषधियाँ (परि-अवदन्) घोषित करती हैं (यम्) जिस (जीवम्) प्राणधारी को (अश्नवाम) व्याप्त होती हैं (सः) वह (पुरुषः) मनुष्य (न रिष्याति) नहीं पीड़ित होता है ॥१७॥
Connotation: - ओषधियाँ यद्यपि पृथिवी पर उत्पन्न होती हैं, तब जबकि आकाश से जल पृथ्वी पर गिरता है-बरसता है, एक प्रकार से बीजरूप में आकाश से प्राप्त हुईं ओषधियाँ समझनी चाहिए, आकाश का जल अमृतसमान होता है, उस ऐसे जल से उत्पन्न ओषधियाँ अमृतरूप होकर जिस पुरुष के सेवन में आती हैं, वह पीड़ा से बचा रहता है ॥१७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (दिवः-अवपतन्तीः-ओषधयः-परि-अवदन्) आकाशात् खलु जलरूपेण नीचैर्भूमौ प्रगच्छन्त्यः-ओषधयः सर्वतोभावेन घोषयन्तीव (यं जीवम्-अश्नवामहै) यं प्राणधारिणं व्याप्नुयामः (सः-पुरुषः-न रिष्याति) स जनो न पुना रोगेण पीडितो भवति ॥१७॥