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मु॒ञ्चन्तु॑ मा शप॒थ्या॒३॒॑दथो॑ वरु॒ण्या॑दु॒त । अथो॑ य॒मस्य॒ पड्बी॑शा॒त्सर्व॑स्माद्देवकिल्बि॒षात् ॥

English Transliteration

muñcantu mā śapathyād atho varuṇyād uta | atho yamasya paḍbīśāt sarvasmād devakilbiṣāt ||

Pad Path

मु॒ञ्चन्तु॑ । मा॒ । श॒प॒थ्या॑त् । अथो॒ इति॑ । व॒रु॒ण्या॑त् । उ॒त । अथो॒ इति॑ । य॒मस्य॑ । पड्बी॑शात् । सर्व॑स्मात् । दे॒व॒ऽकि॒ल्बि॒षात् ॥ १०.९७.१६

Rigveda » Mandal:10» Sukta:97» Mantra:16 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:16


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (शपथ्यात्) हमारे द्वारा अन्य के प्रति अपशब्दकथन से मानसिक रोग हमारे अन्दर जो हो जावे, उससे (नः) हमें (मुञ्चन्तु) प्रयोग की हुईं ओषधियाँ मुक्त करें (अथ-उ-उत) और भी (वरुण्यात्) वरणीय श्रेष्ठ पुरुषों में किये अपराध से शोकरोग हो जाता है अथवा जलोदर रोग से छुड़ावें (अथ-उ) और भी (यमस्य) वायु के (पड्वीशात्) पादबन्धन गतिस्तम्भरोग से छुड़ावें (सर्वस्मात्) सब (देवकिल्बिषात्) इन्द्रियों द्वारा किये अपराध अतिविषयसेवन से हुए रोग से छुड़ावें ॥१६॥
Connotation: - किसी को अपशब्द कहने, श्रेष्ठों का अपमान करने, वातरोग से उन्माद, इन्द्रियविषयों के अतिसेवन से विकार व्याकुलता आदि मानसिक रोग भी ओषधियों से दूर किये जाने चाहिये ॥१६॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (शपथ्यात्) अन्यं प्रतिक्रोशादस्मासु यो मानसिकरोगो जायते तस्मात् (नः) अस्मान् (मुञ्चन्तु) प्रयुक्ता ओषधयो मोचयन्तु (अथ-उ-उत) अथापि हि (वरुण्यात्) वरुणेषु वरणीयेषु श्रेष्ठेषु कृतापराधाच्छोकरोगो जायते तस्माद् यद्वा जलोदररोगान्मोचयन्तु (अथ-उ) अथापि (यमस्य) वायोः (पड्वीशात्) पादबन्धनाद् गतिस्तम्भनान्मोचयन्तु (सर्वस्माद् देवकिल्बिषात्) सर्वस्मादिन्द्रियकृतापराधादतिविषयसेवनान्मोचयन्तु ॥१६॥