Devata: आपः
Rishi: त्रिशिरास्त्वाष्ट्रः सिन्धुद्वीपो वाम्बरीषः
Chhanda: वर्धमाना गायत्री
Swara: षड्जः
ईशा॑ना॒ वार्या॑णां॒ क्षय॑न्तीश्चर्षणी॒नाम् । अ॒पो या॑चामि भेष॒जम् ॥
English Transliteration
īśānā vāryāṇāṁ kṣayantīś carṣaṇīnām | apo yācāmi bheṣajam ||
Pad Path
ईशा॑नाः । वार्या॑णाम् । क्षय॑न्तीः । च॒र्ष॒णी॒नाम् । अ॒पः । या॒चा॒मि॒ । भे॒ष॒जम् ॥ १०.९.५
Rigveda » Mandal:10» Sukta:9» Mantra:5
| Ashtak:7» Adhyay:6» Varga:5» Mantra:5
| Mandal:10» Anuvak:1» Mantra:5
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वार्याणाम्-ईशानाः) वरणीय गुणों के स्वामीरूपों-( चर्षणीनां क्षयन्तीः) मनुष्यादियों में निवास करानेवाले (अपः) जलों को (भेषजं याचामि) सुखकारक ओषध के रूप में चाहता हूँ-यथोचित प्रयोग करना चाहता हूँ ॥५॥
Connotation: - जलों के सेवन करने से शरीर में उत्तम गुण प्राप्त होते हैं, मानो वे संसार में निवास कराने व दीर्घ जीवन के हेतु हैं। जल सुखकारक औषध है, इसका सेवन करना ही चाहिए। इसी प्रकार आप्त जनों के सङ्ग से उत्तम गुणों की प्राप्ति और मानवसमाज में अच्छा स्थान मिलता है। सचमुच उनका सङ्ग आत्मिक औषध है ॥५॥
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वार्याणाम्-ईशानाः) वरणीयानां गुणानां स्वामिनीः (चर्षणीनां क्षयन्तीः) मनुष्यादीनां निवासयित्रीः (अपः) ता अपः (भेषजं याचामि) सुखकरमौषधं प्रयोक्तुमिच्छामि ॥५॥