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अन्वह॒ मासा॒ अन्विद्वना॒न्यन्वोष॑धी॒रनु॒ पर्व॑तासः । अन्विन्द्रं॒ रोद॑सी वावशा॒ने अन्वापो॑ अजिहत॒ जाय॑मानम् ॥

English Transliteration

anv aha māsā anv id vanāny anv oṣadhīr anu parvatāsaḥ | anv indraṁ rodasī vāvaśāne anv āpo ajihata jāyamānam ||

Pad Path

अनु॑ । अह॑ । मासाः॑ । अनु॑ । इत् । वना॑नि । अनु॑ । ओष॑धीः । अनु॑ । पर्व॑तासः । अनु॑ । इन्द्र॑म् । रोद॑सी॒ इति॑ । वा॒व॒शा॒ने इति॑ । अनु॑ । आपः॑ । अ॒जि॒ह॒त॒ । जाय॑मानम् ॥ १०.८९.१३

Rigveda » Mandal:10» Sukta:89» Mantra:13 | Ashtak:8» Adhyay:4» Varga:16» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:7» Mantra:13


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मासाः-अह) चैत्र आदि मास सचमुच (इन्द्रम्-अनु-अजिहत) परमात्मा के अनुशासन में गति करते हैं-होते रहते हैं। (वनानि-इत्-अनु) वन जङ्गल भी उसके अनुशासन में स्थित हैं (ओषधीः-अनु) ओषधियाँ भी उसके अधीन उत्पन्न होती पकती हैं (पर्वतासः-अनु) पर्वत भी उसके अनुशासन में स्थिर हैं (वावशाने रोदसी) कमनीय द्युलोक पृथिवीलोक (इन्द्रम्-अनु) परमात्मा के अनुशासन में प्राप्त होते हैं (जायमानम्-अनु) प्रसिद्धि को प्राप्त हुए परमात्मा को लक्ष्य करके (आपः-अजिहत) जलप्रवाह बहते हैं ॥१३॥
Connotation: - परमात्मा के अधीन मास तथा जलप्रवाह चलते हैं। परमात्मा के शासन में द्युलोक, पृथिवीलोक, पर्वत, वन और ओषधियाँ वर्तमान रहती हैं ॥१३॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मासाः-अह-इन्द्रम्-अनु-अजिहत) मासाश्चैत्रादयः खलु परमात्मानमनु परमात्मशासनमनुसृत्य गच्छन्ति प्रवर्त्तन्ते (वनानि-इत्-अनु) वनानि खल्वपि परमात्मशासनमनुलक्ष्य तिष्ठन्ति (ओषधीः-अनु) ओषधयोऽपि तस्यानुकम्पया प्राप्ता भवन्ति (पर्वतासः-अनु) पर्वताश्चापि तं परमात्मानमनुसृत्य स्थिताः सन्ति (वावशाने रोदसी इन्द्रम्-अनु) कमनीये द्यावापृथिव्यौ परमात्मानमनुदिश्य  प्राप्ते स्तः (जायमानम्-अनु-आपः-अजिहत) सर्वत्र प्रसिद्धिं गतं परमात्मानमुलक्ष्य जलप्रवाहाः प्रवहन्ति ॥१३॥