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त आय॑जन्त॒ द्रवि॑णं॒ सम॑स्मा॒ ऋष॑य॒: पूर्वे॑ जरि॒तारो॒ न भू॒ना । अ॒सूर्ते॒ सूर्ते॒ रज॑सि निष॒त्ते ये भू॒तानि॑ स॒मकृ॑ण्वन्नि॒मानि॑ ॥

English Transliteration

ta āyajanta draviṇaṁ sam asmā ṛṣayaḥ pūrve jaritāro na bhūnā | asūrte sūrte rajasi niṣatte ye bhūtāni samakṛṇvann imāni ||

Pad Path

ते । आ । अ॒य॒ज॒न्त॒ । द्रवि॑णम् । सम् । अ॒स्मै॒ । ऋष॑यः । पूर्वे॑ । ज॒रि॒तारः॑ । न । भू॒ना । अ॒सूर्ते॑ । सूर्ते॑ । रज॑सि । नि॒ऽस॒त्ते । ये । भू॒तानि॑ । स॒म्ऽअकृ॑ण्वन् । इ॒मानि॑ ॥ १०.८२.४

Rigveda » Mandal:10» Sukta:82» Mantra:4 | Ashtak:8» Adhyay:3» Varga:17» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:6» Mantra:4


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते पूर्वे-ऋषयः) वे आरम्भ सृष्टि में उत्पन्न हुए साङ्कल्पिक वेदप्रकाशक ऋषि (जरितारः-न) स्तुति करनेवालों के समान (अस्मै द्रविणं भूना-आयजन्त) इस परमात्मा के लिए स्वात्मभावरूप बल को बहुत भावना से भली-भाँति समर्पित करतें हैं (सूर्ते) सरणशील जङ्गम में (असूर्ते) असरणशील स्थावर में (निषत्ते) निस्तब्ध ज्ञानशून्य (रजसि) लोक में-गण में (इमानि भूतानि) इन योग्य भूतों को वस्तुओं को (ये समकृण्वन्) जो सुखमय बनाते हैं, वे परम ऋषि थे ॥४॥
Connotation: - आरम्भ सृष्टि में साङ्कल्पिक ऋषि परमात्मा की स्तुति करनेवाले अपने समस्त आत्मभाव को समर्पित करनेवाले होते हैं तथा जङ्गम स्थावर और निस्तब्ध के निमित्त सब वस्तुओं को सुखमय बनाते हैं ॥४॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ते पूर्वे-ऋषयः) ते खल्वारम्भसृष्टौ जाताः साङ्कल्पिकाः-वेदप्रकाशका ऋषयः (जरितारः-न) स्तोतारः खलु (अस्मै द्रविणं भूना-आयजन्त) अस्मै परमात्मने स्वात्मभावरूपं बलं बहुभावेन समन्तात् समर्थयन्ति (सूर्ते) सरणशीले जङ्गमे (असूर्ते) असरणशीले स्थावरे (निषत्ते) निस्तब्धे ज्ञानशून्ये (रजसि) लोके-गणे (इमानि भूतानि) एतानि भूतानि योग्यानि (ये समकृण्वन्) ये सुखमयं सम्पादयन् ते परमर्षयः आसन् ॥४॥