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ऋ॒ष्वा ते॒ पादा॒ प्र यज्जिगा॒स्यव॑र्ध॒न्वाजा॑ उ॒त ये चि॒दत्र॑ । त्वमि॑न्द्र सालावृ॒कान्त्स॒हस्र॑मा॒सन्द॑धिषे अ॒श्विना व॑वृत्याः ॥

English Transliteration

ṛṣvā te pādā pra yaj jigāsy avardhan vājā uta ye cid atra | tvam indra sālāvṛkān sahasram āsan dadhiṣe aśvinā vavṛtyāḥ ||

Pad Path

ऋ॒ष्वा । ते॒ । पादा॑ । प्र । यत् । जिगा॑सि । अव॑र्धन् । वाजाः॑ । उ॒त । ये । चि॒त् । अत्र॑ । त्वम् । इ॒न्द्र॒ । सा॒ला॒वृ॒कान् । स॒हस्र॑म् । आ॒सन् । द॒धि॒षे॒ । अ॒श्विना॑ । आ । व॒वृ॒त्याः॒ ॥ १०.७३.३

Rigveda » Mandal:10» Sukta:73» Mantra:3 | Ashtak:8» Adhyay:3» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:6» Mantra:3


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे राजन् ! (ते-ऋष्वा पादा) तेरे सभावर्ग और सेनावर्ग दो महान् पैर हैं (यत्) जिनके द्वारा तू (जिगासि) राष्ट्रकार्य में प्रगति करता है (वाजाः-अवर्धन्) ये ज्ञानी और बलवान् हुए तुझे बढ़ाते हैं (उत-ये चित्-अत्र) और सभावर्ग तथा सेनावर्ग में जो भी जन हैं, (त्वम्) तू (सहस्रं सालावृकान्) बहुत शाला में वर्तमान रक्षक कुत्तों के समान या गतिस्थान मार्गों में कुत्तों के समान अपने सुख के निमित्त तू धारण करता है (अश्विना-आ-ववृत्याः) अपने घोड़ोंवाले दोनों वर्गों को भली-भाँति कार्य में ले ॥३॥
Connotation: - सभावर्ग और सेनावर्ग राष्ट्रपति के राष्ट्र में प्रगति करने के महान् साधन हैं। इनके अन्दर जो सभासद् या सैनिक होते हैं, वे घर के रक्षक प्रहरी कुत्तों के समान या मार्ग में रक्षक सुख के निमित्त होते हैं, उनसे लाभ लेना चाहिए ॥३॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे राजन् ! (ते-ऋष्वा पादा) तव सभावर्गः सेनावर्गश्च महान्तौ पादौ (यत्) यतः-याभ्यां (जिगासि) त्वङ्गच्छसि-राष्ट्रकार्ये प्रगतिं करोषि (वाजाः-अवर्धन्) त्वां ज्ञानबलवन्तो ज्ञानिनो बलवन्तश्च वर्धयन्ति (उत-ये चित्-अत्र) अत्र पादयोः-सभासेनावर्गयोर्येऽपि सन्ति (त्वम्) त्वं खलु (सहस्रं सालावृकान्-आसन्-दधिषे) बहून् शालायां वर्तमानान् कुक्कुरानिव ‘शकारस्य सकारश्छान्दसः’ यद्वा गतिस्थानेषु मार्गेषु शुन इव “षल गतौ” [भ्वादि०] स्वसुखे धारयसि (अश्विना-आ-ववृत्याः) स्वकीयौ-अश्ववन्तौ तौ वर्गौ-आवर्त्तय ॥३॥