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बृह॒स्पति॒रम॑त॒ हि त्यदा॑सां॒ नाम॑ स्व॒रीणां॒ सद॑ने॒ गुहा॒ यत् । आ॒ण्डेव॑ भि॒त्त्वा श॑कु॒नस्य॒ गर्भ॒मुदु॒स्रिया॒: पर्व॑तस्य॒ त्मना॑जत् ॥

English Transliteration

bṛhaspatir amata hi tyad āsāṁ nāma svarīṇāṁ sadane guhā yat | āṇḍeva bhittvā śakunasya garbham ud usriyāḥ parvatasya tmanājat ||

Pad Path

बृह॒स्पतिः॑ । अम॑त । हि । त्यत् । आ॒सा॒म् । नाम॑ । स्व॒रीणा॑म् । सद॑ने । गुहा॑ । यत् । आ॒ण्डाऽइ॑व । भि॒त्त्वा । श॒कु॒नस्य॑ । गर्भ॑म् । उत् । उ॒स्रियाः॑ । पर्व॑तस्य । त्मना॑ । आ॒ज॒त् ॥ १०.६८.७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:68» Mantra:7 | Ashtak:8» Adhyay:2» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:5» Mantra:7


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (बृहस्पतिः) महान् ब्रह्माण्ड या वेदवाणी का स्वामी परमात्मा (आसां-स्वरीणां) इन स्वरवाली वाणियों का (त्यत्-नाम-अमृतं हि गुहा सदने) वह ज्ञान जो बुद्धिरूप स्थान में या गृह में निहित है, उसे निश्चितरूप से जानता है (शकुनस्य-आण्डा इव भित्त्वा गर्भम्) पक्षी अण्डे को तोड़कर उसके मध्य से जैसे बच्चे को निकालते हैं, ऐसे ही (त्मना) परमात्मा स्वयं (पर्वतस्य) विद्याओं से पूर्ण वेद की (उस्रियाः) ज्ञानधाराओं को (उदाजत्) उद्घाटित करता है ॥७॥
Connotation: - परमात्मा वेदवाणियों के ज्ञान को आदि ऋषियों के अन्तःकरण में प्रकाशित और उनके मुख द्वारा उच्चारित कराता है। जैसे पक्षी अपने अण्डे में अपने बच्चे को प्रकट करता है, ऐसे वेद में से वह ज्ञान को प्रकट करता है ॥७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (बृहस्पतिः) महतो ब्रह्माण्डस्य वेदवाचो वा पतिः परमात्मा (आसाम्-स्वरीणां त्यत्-नाम-अमृतं हि गुहा सदने) आसां स्वरवतीनां वाचां तत्तज्ज्ञानं यद् बुद्धिरूपे सदने वर्तते तज्जानाति हि (शकुनस्य आण्डा-इव भित्त्वा गर्भम्) पक्षिणोऽण्डे भवं गर्भं पक्षी भित्त्वा यथा निष्काषयति, तद्वत् (त्मना) स्वात्मना स्वयं (पर्वतस्य) विद्यापूर्णस्य वेदस्य (उस्रियाः) ज्ञानधाराः (उदाजत्) उद्घाटयति ॥७॥