Go To Mantra

या गौर्व॑र्त॒निं प॒र्येति॑ निष्कृ॒तं पयो॒ दुहा॑ना व्रत॒नीर॑वा॒रत॑: । सा प्र॑ब्रुवा॒णा वरु॑णाय दा॒शुषे॑ दे॒वेभ्यो॑ दाशद्ध॒विषा॑ वि॒वस्व॑ते ॥

English Transliteration

yā gaur vartanim paryeti niṣkṛtam payo duhānā vratanīr avārataḥ | sā prabruvāṇā varuṇāya dāśuṣe devebhyo dāśad dhaviṣā vivasvate ||

Pad Path

या । गौः । व॒र्त॒निम् । प॒रि॒ऽएति॑ । निः॒ऽकृ॒तम् । पयः॑ । दुहा॑ना । व्र॒त॒ऽनीः । अ॒वा॒रतः॑ । सा । प्र॒ऽब्रु॒वा॒णा । वरु॑णाय । दा॒शुषे॑ । दे॒वेभ्यः॑ । दा॒श॒त् । ह॒विषा॑ । वि॒वस्व॑ते ॥ १०.६५.६

Rigveda » Mandal:10» Sukta:65» Mantra:6 | Ashtak:8» Adhyay:2» Varga:10» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:5» Mantra:6


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (या गौः) जो वाणी (वर्तनिं पर्येति) सत्यमार्ग को परिप्राप्त होती है (अवारतः) बिना अवरोध के (व्रतनीः) कर्म की नेत्री व्यवहार चलानेवाली (निष्कृतं पयः-दुहाना) संस्कृत ज्ञानरूप दूध को दुहती हुई (सा) वह वाणी (दाशुषे वरुणाय विवस्वते) कर्मफलदाता, आनन्ददाता, वरणीय, अपने में विशिष्ट वास देनेवाले परमात्मा के लिए (देवेभ्यः) और अग्नि आदि देवों के लिए (हविषा प्रब्रुवाणा) उनके ज्ञान के लिए प्रार्थना से प्रवचन करती हुई होवे ॥६॥
Connotation: - वाणी सत्यत्व को प्राप्त करती है। बिना रुकावट के ज्ञानरूप दूध को दुहती हुई व्यवहार चलानेवाली है। इस वाणी से परमात्मा की स्तुति आदि की जाती है और अग्नि आदि देवों का गुणवर्णन किया जाता है, इसका उचित प्रयोग करना चाहिए ॥६॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (या गौः) या वाक् “गौर्वाङ्नाम” [निघ० १।११] (वर्तनिं पर्येति) सत्यमार्गं पर्याप्नोति (अवारतः) विनाऽवरोधेन (व्रतनीः) कर्मनेत्री व्यवहारनायिका (निष्कृतं पयः-दुहाना) संस्कृतं ज्ञानं दुग्धं दोग्धी सती (सा) सा वाक् (दाशुषे वरुणाय विवस्वते) कर्मफलदात्रे, आनन्ददात्रे वरणीयाय स्वस्मिन्विशिष्टवासदत्तवते परमात्मने (देवेभ्यः) अग्न्यादिभ्यश्च (हविषा प्रब्रुवाणा) तेषाञ्ज्ञानाय प्रार्थनया प्रवचनं कुर्वाणा भवतु ॥६॥