Go To Mantra

न्य१॒॑ग्वातोऽव॑ वाति॒ न्य॑क्तपति॒ सूर्य॑: । नी॒चीन॑म॒घ्न्या दु॑हे॒ न्य॑ग्भवतु ते॒ रप॑: ॥

English Transliteration

nyag vāto va vāti nyak tapati sūryaḥ | nīcīnam aghnyā duhe nyag bhavatu te rapaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

न्य॑क् । वातः । अव॑ । वा॒ति॒ । न्य॑क् । त॒प॒ति॒ । सूर्यः॑ । नी॒चीन॑म् । अ॒घ्न्या । दु॒हे॒ । न्य॑क् । भ॒व॒तु॒ । ते॒ । रपः॑ ॥ १०.६०.११

Rigveda » Mandal:10» Sukta:60» Mantra:11 | Ashtak:8» Adhyay:1» Varga:25» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:11


Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (वातः-न्यक्-अव वाति) वायु पृथिवी पर नीचे बहता है (सूर्यः-न्यक् तपति) सूर्य नीचे पृथिवी पर ताप देता है (अघ्न्या नीचीनं दुहे) गौ नीचे स्तनभाग से दूध स्रवित करती है (ते रपः-न्यक्-भवतु) हे कुमार ! तेरा मानसरोग नीचे अर्थात् शरीर से बाहर निकल जाये-निकल जाता है ॥११॥
Connotation: - योग्य चिकित्सक मानसिक रोग के रोगी कुमार को आश्वासन दे कि जैसे ऊपर से वायु पृथिवी पर नीचे बहता है और जैसे सूर्य का ताप ऊपर से नीचे पृथिवी पर आता है तथा जैसे गौ का दूध स्तनों द्वारा नीचे आता है या बाहर आता है, ऐसे ही तेरा मन का रोग तेरे से निकलकर बाहर हो गया ॥११॥
Reads times

BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (वातः न्यक्-अववाति) वायुर्नीचैः पृथिव्यामधो वहति (सूर्यः-न्यक् तपति) सूर्यो नीचैः पृथिवीं तपति तापं प्रयच्छति (अघ्न्या नीचीनं दुहे) गौर्नीचैर्भूत्वा दुग्धं स्रवति (ते रपः-न्यक्-भवतु) हे कुमार ! तव मानसरोगो नीचैः शरीराद् बहिः निःसरतु ॥११॥