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पुन॑र्नो॒ असुं॑ पृथि॒वी द॑दातु॒ पुन॒र्द्यौर्दे॒वी पुन॑र॒न्तरि॑क्षम् । पुन॑र्न॒: सोम॑स्त॒न्वं॑ ददातु॒ पुन॑: पू॒षा प॒थ्यां॒३॒॑ या स्व॒स्तिः ॥

English Transliteration

punar no asum pṛthivī dadātu punar dyaur devī punar antarikṣam | punar naḥ somas tanvaṁ dadātu punaḥ pūṣā pathyāṁ yā svastiḥ ||

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Pad Path

पुनः॑ । नः॒ । असु॑म् । पृ॒थि॒वी । द॒दा॒तु॒ । पुनः॑ । द्यौः । दे॒वी । पुनः॑ । अ॒न्तरि॑क्षम् । पुनः॑ । नः॒ । सोमः॑ । त॒न्व॑म् । द॒दा॒तु॒ । पुन॒रिति॑ । पू॒षा । प॒थ्या॑म् । या । स्व॒स्तिः ॥ १०.५९.७

Rigveda » Mandal:10» Sukta:59» Mantra:7 | Ashtak:8» Adhyay:1» Varga:23» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:7


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुनः) पुनर्जन्म में (पृथिवी-असुं ददातु) मातृभूत पृथिवी प्राणों को देती है (पुनः देवी द्यौः, पुनः-अन्तरिक्षम्) द्योतमान द्युलोकदीप्ति अर्थात् पितृभूत द्युलोक और अन्तरिक्ष प्राण को दे-देता है (सोमः-नः पुनः-तन्वं ददातु) चन्द्रमा या ओषधि शरीर को देवे-देता है-पुष्ट करता है (पूषा पुनः पथ्याम्) सर्वपोषक परमात्मा यथार्थ जीवनयात्रा को देता है-देवे (या स्वस्तिः) जो कि कल्याणकरी-मोक्षसाधिका है ॥७॥
Connotation: - पुनर्जन्म में पृथिवीलोक, अन्तरिक्षलोक और द्युलोक प्राण को देते हैं। इन तीनों के द्वारा प्राणशक्ति की स्थापना होती है। चन्द्रमा तथा ओषधि से शरीर का पोषण होता है और परमात्मा चेतन आत्मा को शरीर में प्रविष्ट करके जीवनयात्रा में प्रेरित करता है ॥७॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुनः) पुनर्जन्मनि (पृथिवी-असुं ददातु) पृथिवी मातृभूता प्राणं ददातु ददाति वा (पुनः देवी द्यौः, पुनः-अन्तरिक्षम्) द्योतमाना द्युलोकदीप्तिर्द्युलोको वा पितृभूतः-अन्तरिक्षं च प्राणं ददातु ददाति वा (सोमः नः पुनः-तन्वं ददातु) चन्द्रमाः-ओषधीर्वा शरीरं ददातु पोषयतु (पूषा पुनः पथ्याम्) सर्वपाषकः परमात्मा पथि भवां यथार्थजीवनयात्रां प्रयच्छतु (या स्वस्तिः) या स्वस्तित्वकरी-अमृतत्वसाधिका भवेत् ॥७॥