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सहो॑भि॒र्विश्वं॒ परि॑ चक्रमू॒ रज॒: पूर्वा॒ धामा॒न्यमि॑ता॒ मिमा॑नाः । त॒नूषु॒ विश्वा॒ भुव॑ना॒ नि ये॑मिरे॒ प्रासा॑रयन्त पुरु॒ध प्र॒जा अनु॑ ॥

English Transliteration

sahobhir viśvam pari cakramū rajaḥ pūrvā dhāmāny amitā mimānāḥ | tanūṣu viśvā bhuvanā ni yemire prāsārayanta purudha prajā anu ||

Pad Path

सहः॑ऽभिः । विश्व॑म् । परि॑ । च॒क्र॒मुः॒ । रजः॑ । पूर्वा॑ । धा॒मानि॑ । अमि॑ता । मिमा॑नाः । त॒नूषु॑ । विश्वा॑ । भुव॑ना । नि । ये॒मि॒रे॒ । प्र । अ॒सा॒र॒य॒न्त॒ । पु॒रु॒ध । प्र॒ऽजाः । अनु॑ ॥ १०.५६.५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:56» Mantra:5 | Ashtak:8» Adhyay:1» Varga:18» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:5


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सहोभिः-विश्वं रजः-परि चक्रमुः) ये आत्माएँ कर्मबलों से समस्त प्राणिलोक में परिभ्रमण करती हैं (पूर्वा-अमिता धामानि मिमानाः) श्रेष्ठ अतुलित-अगणित, अनुपम, सुखमय परिमित बनाते हुए (तनूषु) भिन्न-भिन्न शरीरों में वर्त्तमान (विश्वा भुवना नियेमिरे) सारे शरीरों को नियमित करती हैं (पुरुध प्रजाः-अनु प्रासारयन्त) पितृभूत होकर बहुधा सन्तति का प्रसार करती हैं ॥५॥
Connotation: - आत्माएँ कर्मबलों के आधार पर प्राणिलोकों में परिभ्रमण करती हैं-चक्र लगाती हैं। अपने अनुकूल सुखमय धामों में जाती हैं और पितृभूत होकर बहुत प्रकार से संतानों को उत्पन्न करती हैं। इस प्रकार आत्माओं के द्वारा वंशपरम्परा चलती है ॥५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सहोभिः-विश्वं रजः-परि चक्रमुः) एते-आत्मानः कर्मबलैः समस्तं प्राणिलोकम् “लोका रजांस्युच्यन्ते” [निरु० ४।१९] परिक्राम्यन्ति परिभ्रमन्ति (पूर्वा-अमिता धामानि मिमानाः) श्रेष्ठानि-अतुलानि-अनुपमानि सुखमयानि परिमितानि कुर्वन्त (तनूषु) भिन्न-भिन्नशरीरेषु वर्तमानाः (विश्वा भुवना नियेमिरे) सर्वाणि शरीराणि नियमयन्ति पितृभूताः (पुरुध प्रजाः-अनु प्रासारयन्त) बहुधा सन्ततिरनुलक्ष्य प्रसारयन्ति ॥५॥