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आ तं भ॑ज सौश्रव॒सेष्व॑ग्न उ॒क्थौ॑क्थ॒ आ भ॑ज श॒स्यमा॑ने । प्रि॒यः सूर्ये॑ प्रि॒यो अ॒ग्ना भ॑वा॒त्युज्जा॒तेन॑ भि॒नद॒दुज्जनि॑त्वैः ॥

English Transliteration

ā tam bhaja sauśravaseṣv agna uktha-uktha ā bhaja śasyamāne | priyaḥ sūrye priyo agnā bhavāty uj jātena bhinadad uj janitvaiḥ ||

Pad Path

आ । तम् । भ॒ज॒ । सौ॒श्र॒वसेषु॑ । अ॒ग्ने॒ । उ॒क्थेऽउ॑क्थे । आ । भ॒ज॒ । श॒स्यमा॑ने । प्रि॒यः । सूर्ये॑ । प्रि॒यः । अ॒ग्ना । भ॒वा॒ति॒ । उत् । जा॒तेन॑ । भि॒नद॑त् । उत् । जनि॑ऽत्वैः ॥ १०.४५.१०

Rigveda » Mandal:10» Sukta:45» Mantra:10 | Ashtak:7» Adhyay:8» Varga:29» Mantra:4 | Mandal:10» Anuvak:4» Mantra:10


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अग्ने) हे ज्ञानप्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! तू (तं सौश्रवसेषु-आ भज) उस  इस संयमी को शोभन श्रवण-वेदश्रवण में होनेवाले श्रवण, मनन, निदिध्यासन, साक्षात्कार में इनके सेवन करने पर स्वीकार कर-चाहना कर (शस्यमाने-उक्थे-उक्थे आ भज) प्रस्तूयमान अर्थात् स्तुत किये जाते हुए-समर्पित किये जाते हुए प्रत्येक वचन में स्वीकार कर (सूर्ये प्रियः-अग्ना प्रियः-भवाति ) वह सूर्यरूप सर्वप्रकाशक तुझ में-तेरी दृष्टि में प्यारा होवे, तुझ अग्रनेता में तेरी दृष्टि में प्रिय होवे (जातेन-उत् भिनदत्-जनित्वेन-उत्) हुए पापकर्म से सम्पर्करहित हो तथा होनेवाले पापकर्म से भी सम्पर्करहित हो ॥१०॥
Connotation: - परमात्मा का जो श्रवण, मनन, निदिध्यासन, साक्षात्कार करता है तथा उसकी स्तुति करने में लगा रहता है, वह सर्वप्रकाशक, अग्रनेता परमात्मा का प्रिय हो जाता है। वह किसी भी काल में पापकर्म नहीं करता है, पापकर्म के दुःख को नहीं भोगता है ॥१०॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (अग्ने) हे ज्ञानप्रकाशस्वरूप परमात्मन् ! त्वम् (तं सौश्रवसेषु-आ भज) तं खल्विमं संयमिनं शोभने श्रवसि श्रवणे वेदश्रवणे भवानि सौश्रवसानि श्रवणमनननिदिध्यासनसाक्षात्कारास्तेषु-आभज-अभिलष स्वीकुरु “भज अभिलष” [ऋ० १।१२५।१५ दयानन्दः] (शस्यमाने-उक्थे-उक्थे-आ भज) प्रस्तूयमाने समर्प्यमाणे प्रत्येकवचने तमभिलष स्वीकुरु (सूर्ये प्रियः-अग्ना प्रियः-भवाति) स च सूर्यरूपे सूर्य इव प्रकाशके त्वयि प्रियो भवेत् “लिङर्थे लेट्” [अष्टा० ३।४।७] अग्ना-अग्नौ ‘आकारादेशश्छान्दसः’ अग्रणेतरि त्वयि प्रियो भवेत् (जातेन-उद्भिनदत्-जनित्वेन-उत्) जातेन पापकर्मणा-उद्भिन्नः सम्पर्करहितो जनिष्यमाणेन पापकर्मणा सम्पर्करहितो भवेत् ॥१०॥