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त्वं न॑: सोम सु॒क्रतु॑र्वयो॒धेया॑य जागृहि । क्षे॒त्र॒वित्त॑रो॒ मनु॑षो॒ वि वो॒ मदे॑ द्रु॒हो न॑: पा॒ह्यंह॑सो॒ विव॑क्षसे ॥

English Transliteration

tvaṁ naḥ soma sukratur vayodheyāya jāgṛhi | kṣetravittaro manuṣo vi vo made druho naḥ pāhy aṁhaso vivakṣase ||

Pad Path

त्वम् । नः॒ । सो॒म॒ । सु॒ऽक्रतुः॑ । व॒यः॒ऽधेया॑य । जा॒गृ॒हि॒ । क्षे॒त्र॒वित्ऽत॑रः । मनु॑षः । वि । वः॒ । मदे॑ । द्रु॒हः । नः॒ । पा॒हि॒ । अंह॑सः । विव॑क्षसे ॥ १०.२५.८

Rigveda » Mandal:10» Sukta:25» Mantra:8 | Ashtak:7» Adhyay:7» Varga:12» Mantra:3 | Mandal:10» Anuvak:2» Mantra:8


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे शान्तस्वरूप परमात्मन् ! (नः) हमारे लिये (सुक्रतुः) तू शोभनप्रज्ञा-प्रद है (वयोधेयाय) जीवन धारण कराने के लिये (जागृहि) हमें सावधान कर (क्षेत्रवित्तरः) हमारे देहक्षेत्र को प्राप्त करानेवाला तू (द्रुहः-मनुषः-अंहसः) द्रोह करनेवाले मनुष्य से एवं पाप से (नः पाहि) हमारी रक्षा कर (वः मदे वि) हम हर्ष के निमित्त तेरी स्तुति करते हैं। (विवक्षसे) तू महान् है ॥८॥
Connotation: - परमात्मा उपासक को उत्तम बुद्धि देनेवाला एवं जीवन-प्रदाता है तथा उत्तम देह को भी प्राप्त करानेवाला है। वह द्रोही मनुष्य और पाप से भी बचाता है। इसलिये विशेष हर्ष के निमित्त उसकी स्तुति करनी चाहिये ॥ ८ ॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सोम) हे शान्तस्वरूप परमात्मन् ! (नः) अस्मभ्यम् (सुक्रतुः-वयोधेयाय) शोभनप्रज्ञानवान् शोभनप्रज्ञानप्रदः-जीवनस्य धारणाय (जागृहि) जागरय अन्तर्गतो णिजर्थः (क्षेत्रवित्तरः) देहक्षेत्रस्यातिशयेन प्रापयिता (द्रुहः-मनुषः अंहसः) द्रोग्धुर्मनुष्यात् तथा पापात् (नः पाहि) अस्मान् रक्ष (वः-मदे वि) त्वां हर्षनिमित्तं स्तुमः (विवक्षसे) त्वं महानसि ॥८॥