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इन्द्र॑स्येव रा॒तिमा॒जोहु॑वानाः स्व॒स्तये॒ नाव॑मि॒वा रु॑हेम । उर्वी॒ न पृथ्वी॒ बहु॑ले॒ गभी॑रे॒ मा वा॒मेतौ॒ मा परे॑तौ रिषाम ॥

English Transliteration

indrasyeva rātim ājohuvānāḥ svastaye nāvam ivā ruhema | urvī na pṛthvī bahule gabhīre mā vām etau mā paretau riṣāma ||

Pad Path

इन्द्र॑स्यऽइव । रा॒तिम् । आ॒ऽजोहु॑वानाः । स्व॒स्तये॑ । नाव॑म्ऽइव । आ । रु॒हे॒म॒ । उर्वी॒ इति॑ । न । पृथ्वी॒ इति॑ । बहु॑ले॒ इति॑ । गभी॑रे॒ इति॑ । मा । वा॒म् । आऽइ॑तौ । मा । परा॑ऽइतौ । रि॒षा॒म॒ ॥ १०.१७८.२

Rigveda » Mandal:10» Sukta:178» Mantra:2 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:36» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:2


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रस्य-इव) विद्युन्मय वायु का (रातिम्) दान अर्थात् जलदान को (आजोहुवानाः) भलीभाँति ग्रहण करते हुए (स्वस्तये) कल्याण के लिए (नावम्-इव) नौका पर जैसे (आ रुहेम) चढ़ें, वैसे सुख का अनुभव करें (उर्वी पृथ्वी) महान् प्रथित (बहुले गभीरे) विशाल गहन आकाशभूमि (वाम्) तुम उन दोनों के ऊपर (आ-इतौ परा-इतौ) वायु को आश्रित करके आने में और जाने में (मा रिषाम) हम हिंसित न हों ॥२॥
Connotation: - विद्युन्मय वायु की प्रेरणा से मेघ का जल मिलता है-पृथ्वी पर गिरता है वह कल्याण देने के लिए, जैसे नौका पर चढ़कर सुख का अनुभव करते हैं, ऐसे ही विद्युन्मय वायु को आश्रित करके भूमि से आकाश को और आकाश से भूमि पर विमान द्वारा आने-जाने में पीड़ित नहीं होते हैं, इस प्रकार से विमानयात्रा करनी चाहिये ॥२॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रस्य-इव रातिम्) तस्य विद्युन्मयस्य वायोः “यः-इन्द्रः स वायुः” [शत० ४।१।३।१९] “इवोऽपि दृश्यते” [निरु० १।१०] ‘पदपूरणः’ रातिं दानं जलम् (आजोहुवानाः) समन्तादाददानाः (स्वस्तये नावम्-इव आ रुहेम) कल्याणाय नौकामारुहेमेति यथा तथा सुखमनुभवेम अथ च (उर्वी पृथ्वी बहुले गभीरे) महत्यौ प्रथिते विशाले गहने द्यावापृथिव्यौ-आकाशभूमी (वाम्) युवयोस्तयोरुपरि (आ-इतौ परा-इतौ मा रिषाम) वायुमाश्रित्या-गमने परागमने न हिंसिता भवेम ॥२॥