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ध्रु॒वं ध्रु॒वेण॑ ह॒विषा॒भि सोमं॑ मृशामसि । अथो॑ त॒ इन्द्र॒: केव॑ली॒र्विशो॑ बलि॒हृत॑स्करत् ॥

English Transliteration

dhruvaṁ dhruveṇa haviṣābhi somam mṛśāmasi | atho ta indraḥ kevalīr viśo balihṛtas karat ||

Pad Path

ध्रु॒वम् । ध्रु॒वेण॑ । ह॒विषा॑ । अ॒भि । सोम॑म् । मृ॒शा॒म॒सि॒ । अथो॒ इति॑ । ते॒ । इन्द्रः॑ । केव॑लीः । विशः॑ । ब॒लि॒ऽहृतः॑ । क॒र॒त् ॥ १०.१७३.६

Rigveda » Mandal:10» Sukta:173» Mantra:6 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:31» Mantra:6 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:6


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ध्रुवेण हविषा) स्थिर उपहार के द्वारा (ध्रुवं सोमम्) राजसूययज्ञ में तुझे स्थिर स्तोतव्य निष्पन्न संस्कृत करने योग्य राजा को (अभि मृशामसि) आशीर्वाददानार्थ स्पर्श करते हैं (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् परमात्मा (ते) तेरे लिए (केवलीः-विशः) अनन्यभक्त प्रजा को (बलिहृतः-करत्) उपहार देनेवाली कर देनेवाली बनाता है ॥६॥
Connotation: - राजसूययज्ञ में जब राजा को अभिषिक्त कर दिया जाता है, तो उसे स्थिर उपहार दिया जाना चाहिये और विद्वान् लोग अपने आशीर्वाद का हाथ उस पर रखते हैं, परमात्मा उसके लिए भक्त प्रजा कर देनेवाली उपहार देनेवाली बनाता है ॥६॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ध्रुवेण हविषा) स्थिरेण-उपहारेण (ध्रुवं सोमम्-अभि मृशामसि) त्वां स्थिरं स्तोतव्यं राजसूये सम्पादितं राजानम्, आशीर्वाद-दानरूपेऽभिस्पृशामः (अथ-उ) अथ-च (इन्द्रः) ऐश्वर्यवान् परमेश्वरः (ते केवलीः-विशः-बलिहृतः-करत्) तुभ्यं केवलीरनन्याः प्रजाः करदात्रीः-उपहारदात्रीः सम्पादयति ॥६॥