आ या॑हि॒ वस्व्या॑ धि॒या मंहि॑ष्ठो जार॒यन्म॑खः सु॒दानु॑भिः ॥
English Transliteration
ā yāhi vasvyā dhiyā maṁhiṣṭho jārayanmakhaḥ sudānubhiḥ ||
Pad Path
आ । या॒हि॒ । वस्व्या॑ । धि॒या । मंहि॑ष्ठः । जा॒र॒यत्ऽम॑खः । सु॒दानु॑ऽभिः ॥ १०.१७२.२
Rigveda » Mandal:10» Sukta:172» Mantra:2
| Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:30» Mantra:2
| Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:2
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वस्व्या धिया) हे उषा के समान कान्तिवाली गृहदेवी ! नववधू ! धनेश्वर्य की प्राप्ति के निमित्त-कर्मप्रवृत्ति के द्वारा (आ याहि) आ-प्राप्त हो (मंहिष्ठः) अत्यन्त धनदाता पति (सुदानुभिः) श्रेष्ठ दानों के द्वारा (जारयन्मखः) समाप्त यज्ञ होने तक अर्थात् जब तक सन्तान के सन्तान हो जावे, गृहस्थयज्ञ का अनुष्ठानी होता है ॥२॥
Connotation: - पत्नी घर में आ जाने पर धनैश्वर्य की प्राप्ति के निमित्त अपनी कर्मप्रवृत्ति रखे, पति अत्यधिक धन कमानेवाला और दानी-दान प्रवृत्तिवाला पत्नी एवं अन्यों के लिये हो। शास्त्रमर्यादानुसार गृहस्थयज्ञ को चलाये, जब तक सन्तान के सन्तान हो जाये ॥२॥
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BRAHMAMUNI
Word-Meaning: - (वस्व्या धिया-आ याहि) हे उषः ! कान्तिमति गृहदेवि ! धनैश्वर्यप्राप्तिनिमित्तभूतया-कर्मप्रवृत्त्या “धीः कर्मनाम” [निघ० २।१] आगच्छ-प्राप्ता भव (मंहिष्ठः) अतिशयितधनदाता पतिः “मंहतेर्दानकर्मणः” [निरु० १।१] (सुदानुभिः) श्रेष्ठदानैः “दानुनस्पती-दानपती” [निरु० २।१३] (जारयन्मखः) समापयद्यज्ञः-यावद् गृहस्थयज्ञः समाप्तिं गच्छेत्-अपत्यस्या-पत्यमिति तावत् कालं यज्ञानुष्ठानी भवति ॥२॥