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उद॒सौ सूर्यो॑ अगा॒दुद॒यं मा॑म॒को भग॑: । अ॒हं तद्वि॑द्व॒ला पति॑म॒भ्य॑साक्षि विषास॒हिः ॥

English Transliteration

ud asau sūryo agād ud ayam māmako bhagaḥ | ahaṁ tad vidvalā patim abhy asākṣi viṣāsahiḥ ||

Pad Path

उत् । अ॒सौ । सूर्यः॑ । अ॒गा॒त् । उत् । अ॒यम् । मा॒म॒कः । भगः॑ । अ॒हम् । तत् । वि॒द्व॒ला । पति॑म् । अ॒भि । आ॒सा॒क्षि॒ । वि॒ऽस॒स॒हिः ॥ १०.१५९.१

Rigveda » Mandal:10» Sukta:159» Mantra:1 | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:1 | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:1


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BRAHMAMUNI

इस सूक्त में पारिवारिकचर्या का आदर्श वर्णित है, पुत्र शत्रुनाशक पुत्री ज्योतिःस्वरूप, पत्नी धर्माधार, पति प्रशंसापात्र हो, आदि विषय हैं।

Word-Meaning: - (असौ सूर्यः) वह सूर्य (उत् अगात्) उदय होता है (अयं मामकः) यह मेरा (भगः-उत्) सौभाग्यसाधक ही है या सौभाग्य ही उदय होता है (तत्) उस कारण (अहम् विद्वला) मैं पतिवाली या वर को प्राप्त किये हुए प्राप्त वरवाली हो गई (पतिम्-अभि-असाक्षि) पति को सहन करने में समर्थ या अपने अनुकूल बनानेवाली हूँ (विषासहिः) विशेष सहन करनेवाली हूँ ॥१॥
Connotation: - सूयर उदय होने से स्त्रियों में सौभाग्य की भावना जाग जाती है या जाग जानी चाहिये, उस अवस्था में जैसे सूर्य पृथ्वी के ऊपर, प्राणी और वनस्पति को उत्पन्न होने की शक्ति देता है, ऐसे ही पति के प्रति आदरभावना होनी चाहिए कि यह मेरा सौभाग्य का दाता है ॥१॥
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BRAHMAMUNI

अत्र सूक्ते पारिवारिकचर्याया आदर्शो वर्ण्यते, पुत्राः शत्रुनाशकाः पुत्री ज्योतिःस्वरूपा पत्नी धर्मस्तम्भः पतिश्च प्रशंसापात्रमित्येव-मादयो विषयाः सन्ति।

Word-Meaning: - (असौ सूर्यः-उदगात्) स सूर्य-उदेति (अयं मामकः-भगः-उत्) एष मदीयो भगः-सौभाग्यसाधको हि यद्वा सौभाग्यं मामकमुदेति (तत्) तस्मात्खलु (अहं विद्वला) अहं विन्दते-इति वित्-पतिः तद्वती छान्दसो वलच् प्रत्ययो मत्वर्थीयः, यद्वा “विद्लृ लाभे” [तुदादि०] ततः क्विप् भूते विद् लब्धो वरो यया सा विद्वला रेफस्य स्थाने लकारश्छान्दसः लब्धवरा जाता (पतिम्-अभि-असाक्षि) पतिमभिसहे पतिमभिसोढुं समर्था स्वानुकूलं साधयामि (विषासहिः) विशेषेण सहमाना सती ॥१॥