त्वमि॑न्द्रासि वृत्र॒हा व्य१॒॑न्तरि॑क्षमतिरः । उद्द्याम॑स्तभ्ना॒ ओज॑सा ॥
                             English Transliteration
              
                              Mantra Audio
                tvam indrāsi vṛtrahā vy antarikṣam atiraḥ | ud dyām astabhnā ojasā ||
               Pad Path 
              
                            त्वम् । इ॒न्द्र॒ । अ॒सि॒ । वृ॒त्र॒ऽहा । वि । अ॒न्तरि॑क्षम् । अ॒ति॒रः॒ । उत् । द्याम् । अ॒स्त॒भ्नाः॒ । ओज॑सा ॥ १०.१५३.३
                Rigveda » Mandal:10» Sukta:153» Mantra:3 
                | Ashtak:8» Adhyay:8» Varga:11» Mantra:3 
                | Mandal:10» Anuvak:12» Mantra:3
              
            
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                          BRAHMAMUNI
                   Word-Meaning: -  (इन्द्र) हे परमात्मन् या राजन् ! (त्वम्) तू (वृत्रहा) पापनाशक या आक्रमणकारी का नाशक है (ओजसा) अपने आत्मबल से (अन्तरिक्षं वि-अतिरः) अन्तरिक्ष को विकसित करता है-नक्षत्रों से युक्त करता है या प्रजाओं को विविध गुणों से विकसित करता है (द्याम्-उत् स्तभ्नाः) द्युलोक को या ज्ञान से द्योतमान सभा को ऊपर सँभालता है या उन्नत करता है ॥३॥              
              
                            
                  Connotation: -  परमात्मा पापनाशक है, अपने आत्मबल से अन्तरिक्ष को नक्षत्रों द्वारा विकसित करता है, सजाता है, द्युलोक को ऊपर सम्भालता है, उसी प्रकार राजा आक्रमणकारी को नष्ट करनेवाला, प्रजाओं को गुणों से विकसित करनेवाला, राजसभा को उत्पन्न करनेवाला होना चाहिए ॥३॥              
              
              
                            
              
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                          BRAHMAMUNI
                   Word-Meaning: -  (इन्द्र त्वम्) हे परमात्मन् वा राजन् ! त्वम् (वृत्रहा) पापनाशकः-आक्रमणकारिनाशको वा (ओजसा) स्वात्मबलेन (अन्तरिक्षं वि अतिरः) अन्तरिक्षमाकाशं प्रजा वा विकासयसि, “अन्तरिक्षमिमाः प्रजाः” [मै० ४।५] (द्याम्-उत्-स्तभ्नाः) द्युलोकं यद्वा ज्ञानेन द्योतमानां सभामुपरि स्तम्भयसि-उन्नयसि वा ॥३॥              
              
              
              
                            
              
            
        